बिहार में रिकॉर्ड तोड़ कड़ाके की ठंड के बाद अब तन झुलसाने वाली गर्मी का कहर झेलना पड़ेगा. क्योंकि इस बार मार्च में ही सूरज की तपिश से पसीना छूटने लगा है. अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. वहीं न्यूनतम तापमान भी 22 डिग्री सेल्सियस हो गया है. आलम यह कि दिन की गर्मी के साथ रातें भी गर्म होने लगी हैं. मौसम के जानकारों ने मार्च के अंत तक गर्म हवाएं चलने की आशंका जतायी है. साथ ही किसानों को फसलों की विशेष देखभाल करने की सलाह दी है. मौसम के जानकार डॉ मनोज कुमार ने बताया कि विगत तीन दिनों से सीवान का अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा है. मौसम में इस तरह के परिवर्तन से मॉनसून पूर्व गतिविधियां जैसे गरज, ओलावृष्टि या धूल भरी आंधी भी हो सकती है.
मौसम पिछले कुछ दिनों में तापमान तेजी से बढ़ा है. आमतौर पर इतना तापमान अप्रैल की शुरुआत में होता था. तापमान में बढ़ोतरी के कारण रबी की फसलों पर असर पड़ सकता है. वर्तमान में गेहूं की फसल दुग्धावस्था में है. इसलिए फसल में पर्याप्त नमी बनाये रखें, वरना गर्मी में दाने सिकुड़ने की आशंका है और उपज प्रभावित हो सकती है. इसी तरह फरवरी में बोयी गयी मूंग व उड़द के साथ ही सब्जियों वाली फसलों में भी सिंचाई करते रहे.
बिहार में मौसम तेजी से करवट ले रहा है. इस बार राज्य के लोगों को भीषण गर्मी का सितम झेलने को लिए तैयार रहना होगा. मार्च में ही पारा 35 तक पहुंच गया है. मौसम विभाग के मुताबिक आगे आने वाले दिनों में पारा और चढ़ेगा. मौसम विभाग की मानें तो कुछ दिनों में ही यह आंकड़ा 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जायेगा. तेजी से चढ़ते पारे के बीच लोगों को अपनी सेहत का खास ख्याल भी रखना होगा. भीषण गर्मी की वजह से धूप की वजह से चिपचिपी गर्मी से पानी की कमी की शिकायतें इस मौसम में अक्सर देखी जाती है.
मौसम में बदलाव के चलते इस समय लोगों को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना जरूरी है. जरा सी लापरवाही सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है. चिकित्सकों की माने तो गर्मी में शरीर किसी अन्य मौसम के मुकाबले कम कैलोरी का सेवन करता है. इसलिए, शरीर को ज्यादा कैलोरी की जरूरत नहीं होती. ऐसे में ज्यादा पानी की जरूरत होती है. संतुलित पोषण आहार गर्मी में शरीर की जरूरत को पूरा करता है. गर्मी में पाचन शक्ति सर्दी के मुकाबले धीमी हो जाती है. हमारा शरीर गर्मी में गर्म मौसम और उच्च तापमान के कारण पसीना निकालता है. इससे हमारी ऊर्जा लेवल सुबह से शाम होते नीचे जाने लगती है. गर्मी में पूरे दिन शरीर को ऊर्जा लेवल को बहाल रखने की जरूरत पड़ती है. डिहाइड्रेशन गर्मी की एक प्रमुख समस्या हो सकता है. कभी-कभी लू इंसानी शरीर को चपेट में ले लेता है.
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गर्मी के मौसम में बीमार पड़ने की आशंका से बचने के लिए सावधानियां जरूरी है. मौसम में बदलाव आते ही सबसे पहले बच्चे ही उसके गिरफ्त में आते हैं. बच्चों में सर्दी जुकाम, डायरिया, निर्जलीकरण, निमोनिया आदि बीमारियों का खतरा रहता है. सर्दी जुकाम और बुखार आम तौर पर इस मौसम में होता है. लेकिन लापरवाही से यह गंभीर रूप ले सकता है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रामजी सिंह ने बताया कि गर्मी के मौसम में इन बीमारियों से समुचित खानपान और सावधानी से बचा जा सकता है. सुबह और शाम के समय में बच्चों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. बाहर खेलने जाने वाले बच्चों पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए. सफाई का ख्याल रखना चाहिए. पानी पर्याप्त पिलानी चाहिए. इस मौसम में पानी कम पीने से डिहाइड्रेशन का भी खतरा होता है.