Agra News: ताजनगरी के एक कस्बे में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है. शमशाबाद में चैत्र शुक्ल तृतीया पर शोभायात्रा निकालकर जहां हिंदू समाज के लोग कंस वध लीला का आयोजन करते हैं. वहीं, ईद के दिन यहां मुस्लिम समाज के लोगों को खुदा की इबादत कर अमन चैन की दुआ मांगते हैं.
चैत्र शुक्ल तृतीया पर शमशाबाद की हिंदू मेला कमेटी ने कंस लीला पर कंस मेले का आयोजन किया और साथ ही दाऊजी मंदिर शमशाबाद से शोभायात्रा निकाली गई. इसके लिए किसी शायर ने कहा है, ‘जिस जगह से मंदिर घंटे की आवाज आती हो और जिस जगह से अजान सुनाई देती हो, ए दुनिया जान ले उसे हिंदुस्तान कहते हैं, और जिस जगह ईद की नमाज पढ़ाई जाती हो, और उसी जगह कंस जलाया जाता है उसे शमशाबाद कहते..’
आगरा जनपद के कस्बा शमशाबाद में कंस टीला नाम से जगह है. चैत्र शुक्ल की तृतीया को कस्बे में भव्य कंस शोभायात्रा निकाली जाती है. पूरे कस्बे का भ्रमण करने के बाद शोभायात्रा ईदगाह पर पहुंचती है. जहां पर जबरदस्त आतिशबाजी के बीच कंस का वध किया जाता है. इस कंस वध लीला के आयोजन में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी शिरकत करते हैं. इस दौरान लगने वाले मेले में हिंदू-मुस्लिम भाई मिलकर लुफ्त उठाते हैं. दोनों ही समुदाय के लोग एक दूसरे को बधाइयां देते हैं.
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कंस टीला स्थित इसी ईदगाह पर मुस्लिम समुदाय ईद के दिन नमाज अदा कर अमन चैन की दुआ मांगता है. नमाज के बाद हिंदू मुस्लिम एक दूसरे को गले लगाकर शुभकामनाएं देते हैं. कस्बा शमसाबाद के लोग बताते हैं कि दोनों समुदाय के लोगों के बीच ऐसा कहीं भी शायद ही देखने को मिले. आयोजन स्थल एक होने के बावजूद दोनों ही समुदाय के लोग हर त्योहार भाईचारे के साथ मिलकर मनाते हैं. मुस्लिम समुदाय के बबुआ खान का कहना है कि यह स्थान भाईचारे की मिसाल है, यह मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलेगी. हिंदू भाई कंस का वध बरसों से करते आ रहे हैं तो मुस्लिम भाई नमाज अदा करते आ रहे हैं जो एक मिसाल है.
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हिंदू मेला कमेटी के पवन गुप्ता ने बताया कि आज कंस टीला पर कंस मेले का आयोजन होगा. शाम को कस्बे के प्राचीन दाऊजी मंदिर से एक भव्य शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों पर होती हुई निकाली गयी. उसके बाद मेले में आतिशबाजी और कंस वध किया गया. ईदगाह पर कंस वध और मेला परंपरागत है. दशकों से ये आयोजन होता चला आ रहा है.
रिपोर्ट : राघवेंद्र गहलोत