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World Water Day: झारखंड में कभी यहां पानी के लिए मचता था हाहाकार, आज हर घर में है रेन वाटर हार्वेस्टिंग

रांची का हरमू हाउसिंग कॉलोनी में पहले गर्मी शुरू होते ही पानी का संकट झेलता था. लेकिन आज हर घर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना हुआ है. आज इस कॉलोनी के घरों की बोरिंग कभी नहीं सूखती हैं

रांची : हर साल गर्मी के मौसम में शहर के अलग-अलग हिस्सों में जल संकट शुरू हो जाता है. ड्राइ जोन में आनेवाली हरमू हाउसिंग कॉलोनी का बड़ा हिस्सा यह संकट झेलता है. गर्मी में यहां के अधिकतर घरों की बोरिंग फेल हो जाती हैं. इनके बीच हरमू चौक स्थित बी टाइप कॉलोनी के लोगों मिसाल कायम की है.

यह कॉलोनी वर्षा जल संरक्षण के मामले में पूरे शहर के लिए रोल मॉडल बन चुकी है. इस कॉलोनी में 40 घर हैं और हर घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना हुआ है. यही वजह है कि इस कॉलोनी के घरों की बोरिंग कभी नहीं सूखती हैं. वार्ड पार्षद अरुण कुमार झा बताते हैं कि शहर में सबसे अधिक जलसंकट हरमू हाउसिंग कॉलोनी में होता है.

हर साल गर्मी के मौसम में इस क्षेत्र में 50 जगहों पर टैंकर से पानी बांटा जाता है. लेकिन पिछले पांच वर्षों में हमने एक टैंकर पानी भी इस मोहल्ले में नहीं बांटा है. अगर सभी मोहल्ले इसी तरह से जल संरक्षण के लिए आगे आयें, तो शहर के किसी भी हिस्से में गर्मी के दिनों में पानी का संकट नहीं आयेगा.

इधर, शहरवासियों पर नहीं हो रहा नगर निगम की अपील का असर

हर वर्ष गर्मी के मौसम में राजधानी का भू-जलस्तर नीचे चला जाता है. सबसे ज्यादा दिक्कत मधुकम, गंगानगर, विद्यानगर, यमुनानगर, किशोरगंज, एदलहातू, कडरू, धुर्वा, हिंदपीढ़ी, चिरौंदी, हरमू हाउसिंग के लोगों को होती है. नगर निगम इन क्षेत्रों में करीब दो महीने तक टैंकर से पानी पहुंचाता है.

इस स्थिति से उबरने के लिए नगर निगम ने शहरवासियों से अपील की है कि वे अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण करायें. हालांकि, इसका असर नहीं हो रहा है. इसका उदाहरण है राजधानी में 2.25 लाख से अधिक घर हैं, लेकिन इसमें सिर्फ 19800 मकान में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है.

राजधानी स्थित हरमू हाउसिंग कॉलोनी, गंगा नगर, विद्यानगर, यमुना नगर, स्वर्ण जयंती नगर, मधुकम, हटिया, चिरौंदी, एदलहातू आदि ड्राइ जोन में शामिल हैं. यहां गर्मी के दस्तक के साथ ही बोरवेल जवाब देना शुरू कर देते हैं. जैसे-जैसे गर्मी चरम पर आती है, इन क्षेत्रों के अधिकतर लोग पानी के टैंकर पर ही आश्रित हो जाते हैं. वर्ष 2016 में राजधानी ने जलसंकट का सामना किया था़ शहर के 200 से अधिक मोहल्ले के कुएं पूरी तरह सूख गये थे. बोरवेल ड्राइ हो गये थे. इस कारण 470 से अधिक जगहों पर नगर निगम के टैंकर से लोगों की प्यास बुझायी गयी थी़

Posted By: Sameer Oraon

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