पटना एम्स में फेफड़े के कैंसर का नयी विधि से इलाज शुरू हो गया. इलाज के बाद मरीज की स्थिति खतरे से बाहर बतायी जाती है. नयी विधि से फेफड़े के कैंसर के इलाज के बाद पटना एम्स के डॉक्टरों को एम्स के डायरेक्टर ने हौसला अफजाई भी की है. बिहार में ऐसा पहली बार कैंसर का नयी विधि से इलाज पटना एम्स के डॉक्टरों ने किया है. पटना एम्स से मिली जानकारी के मुताबिक फेफड़े को कैंसर अक्सर बहुत देरी से पता चलता है. जब कैंसर का इलाज ऑपरेशन से संभव नहीं हो पाता है, ऐसे कुछ मरीज जिन में कैंसर छाती में ही फैला हुआ होता है. उनका इलाज नयी तकनीक से संभव है. ऐसे दो मरीजों का इलाज हाल ही में पटना एम्स अस्पताल में किया गया है.
एक 60 वर्ष की महिला जो सारण कि रहने वाली है और एक 25 वर्ष का युवक मोकामा का रहने वाला है. ऐसा ऑपरेशन पूरे देश में किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार हुआ है. ऐसे ऑपरेशन में कम से कम लगभग 20 लाख रुपये खर्च आता है. एम्स पटना के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सीएम सिंह ने बताया है कि दोनों मरीज किमोथेरैपी लेने के बाद सर्जिकल आन्कोलॉजी विभाग में कैंसर सर्जरी के लिए भेजे गये. इन दोनों मरीजों का ऑपरेशन का अधिकांश खर्च मुख्यमंत्री चिकित्सा अनुदान से संभव हो पाया है, जिसमें लगभग कोई खर्च नहीं हुआ है.
ऑपरेशन के बाद दोनों मरीज स्वस्थ है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है. एम्स पटना के निदेशक डॉ सौरभ वार्ष्णेय ने पूरी टीम को बधाई दी है. ये ऑपरेशन डॉ जगजीत कुमार पांडेय (विभाग प्रमुख, कैंसर सर्जरी विभाग) एम्स पटना के नेतृत्व में हुआ है. इस ऑपरेशन के तुरंत बाद छाती में गरम करके कैंसर कि दवा दी गयी. इस विधि को हिटहोक कहते हैं.
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इस विधि से एम्स, पटना अस्पताल में पेट, अंडाशय, आंत के कैंसर के इलाज की सुविधा, कैंसर सर्जरी विभाग में पहले से उपलब्ध है. इस विधि का नाम हाइपेक है. इस ऑपरेशन में डॉ प्रितांजलि सिंह , डॉ दिपेन्द्र राय, डॉ सौरभ करमाकर, डॉ कुणाल सिंह, डॉ सतीश, डॉ सत्यनारायण व डॉ राहुल की अहम भूमिका रही है.