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Varanasi News: आजादी के अमृत महोत्सव में देखेंगे कठपुतली कलाकारों की प्रतिभा, कुछ खास होगा वर्ल्ड पपेट डे

वाराणसी में पीएम मोदी भी काष्ठकला को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर अपने उद्बोधन में कलाकारों को सम्बोधित करते रहते हैं. यहां के कारीगरों द्वारा बनने वाले लकड़ी के खिलौने और बर्तन हस्तशिल्प कला का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. ऐसे में इस उत्सव द्वारा बनारस की कठपुतली को विश्व स्तर पर अहमियत मिलेगी.

Varanasi News: आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 21 मार्च को विश्व कठपुतली दिवस के अवसर पर 5 बड़े शहरों में संगीत नाटक अकादमी पुतुल उत्सव का आयोजन करने जा रही है. इसकी थीम ‘आजादी के रंग, पुतुल के संग’ रखी गई है.

दिल्ली में हो रहा पुतुल उत्सव

इस महान कला को संरक्षित करने के लिए देश के पांच बड़े शहरों हैदराबाद (तेलंगाना), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), अंगुल (ओडिशा), अगरतला (त्रिपुरा) और दिल्ली में पुतुल उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. वाराणसी में यह कठपुतली उत्सव अस्सी घाट स्थित सुबह-ए-बनारस मंच पर 21 को और 22-23 मार्च को शाम 7 बजे से दीनदयाल हस्तकला संकुल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत आयोजित किया जाएगा.

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विश्वस्तर पर दिला रहे पहचान

वाराणसी में पीएम मोदी भी काष्ठकला को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर अपने उद्बोधन में कलाकारों को सम्बोधित करते रहते हैं. यहां के कारीगरों द्वारा बनने वाले लकड़ी के खिलौने और बर्तन हस्तशिल्प कला का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. ऐसे में इस उत्सव द्वारा बनारस की कठपुतली को विश्व स्तर पर अहमियत मिलेगी साथ ही वाराणसी में बनने वाली लकड़ी या काठ के खिलौने के बारे में लोगों को जानने का मौका मिलेगा.

लोकनाट्य की है एक शैली

कठपुतली नृत्य को लोकनाट्य की ही एक शैली माना गया है. यह अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है जिसमें लकड़ी, धागे, प्लास्टिक या प्लास्टर ऑफ पेरिस की गुड़ियों द्वारा जीवन के प्रसंगों की अभिव्यक्ति का मंचन किया जाता है. इसीलिए इस महान कला को संरक्षित करने के लिए देश के पांच बड़े शहरों हैदराबाद (तेलंगाना), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), अंगुल (ओडिशा), अगरतला (त्रिपुरा) और दिल्ली में पुतल उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

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सिंहासन बत्तीसी में भी है जिक्र

हैदराबाद और वाराणसी में यह उत्सव 21 से 23 मार्च यानी तीन दिनों तक चलेगा, वहीं अंगुल में यह उत्सव 21 और 22 मार्च को आयोजित किया जाएगा. दिल्ली और अगरतला में एक दिवसीय यानी 21 मार्च को पुतुल उत्सव का आयोजन होगा. इस उत्सव में देश की जानी-मानी पुतुल संस्थाएं भी भाग लेंगी. कठपुतली के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में महाकवि पाणिनी के अष्टाध्याई ग्रंथ में पुतला नाटक का उल्लेख मिलता है. साथ ही सिंहासन बत्तीसी नामक कथा में भी 32 पुतलियों का उल्लेख है. पुतली कला की प्राचीनता के संबंध में तमिल ग्रंथ ‘शिल्पादिकारम्’ से भी जानकारी मिलती है.

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पुतुल कला को बढ़ावा देने की है तैयारी

संगीत नाटक अकादमी की सचिव टेमसुनारो जमीर ने बताया कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर पूरा देश अमृत महोत्सव मना रहा है. इस बार पुतुल उत्सव भी आजादी के अमृत महोत्सव के रंग में रंगा होगा. देश में पुतुल कला को बढ़ावा देने के लिए उत्सव के दौरान कुछ शहरों में वर्कशॉप भी आयोजित की जा रही है. इसके अलावा कार्यक्रमों में पुतुल के माध्यम से आजादी के संघर्ष को दर्शाया जाएगा. इस उत्सव में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, आजाद, प्रकृति की महिमा, सत्याग्रह, रानी लक्ष्मी बाई और महालक्ष्मी कथा जैसे अनेक विषयों पर पुत्ली नृत्य दिखाया जाएगा. यह उत्सव भारत और विश्व के सांस्क़ृतिक और प्राचीन कला को संरक्षित करने की ओर एक सफल कदम साबित होगा.

रिपोर्ट : विपिन सिंह

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