Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court News) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए भर और राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार को दो महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. गौरतलब है की उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल समेत विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या भर और राजभर जातीय निवास करती है. जिन्हें वर्तमान समय में पिछड़ी जातियों की श्रेणी में रखा गया है.
याची ‘जागो राजभर जागो’ समिति के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया की उत्तर प्रदेश में भर व राजभर जातियों को पिछड़ी जाति में रखा गया है. जबकि यह दोनों जातियां 1950 से पहले क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के तहत रखी गई थीं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने राजनीतिक कारणों से 1994 की आरक्षण नियमावली में इन दोनों जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल न कर पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया.
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याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश में 1931 में अगरिया, गोंड, खरवार, चेरु, पहाड़िया व भुईया जातियां भी भर और राजभर के साथ एक्सटीरियर जाति के रूप में सूचीबद्ध थीं. लेकिन केंद्र सरकार ने भर और राजभर को छोड़कर उक्त सभी जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर दिया. हालांकि, इस संबंध में केंद्र सरकार ने 11 अक्टूबर, 2021 को यूपी सरकार को पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगा था. लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक जवाब नहीं दिया गया. याचिका को निस्तारित करते करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने प्रदेश सरकार समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को केंद्र सरकार के 11 अक्टूबर, 2021 के प्रस्ताव के क्रम में निर्णय लें का आदेश दिया.