Kharmas 2022: भारतीय संस्कृति में खरमास का विशेष महत्व माना गया है . किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य को खरमास में करना वर्जित माना गया है . देवगुरु बृहस्पति का भारतीय ज्योतिष में बहुत बड़ा स्थान माना गया है . सभी तरह के मांगलिक कार्यों का कारक ग्रह देवगुरु बृहस्पति को माना गया है. भारतीय ज्योतिष के अनुसार देवगुरु बृहस्पति का दो राशियां धनु राशि और मीन राशि के ऊपर स्वामित्व माना गया है.
इस बार खरमास 15 मार्च 2022 से शुरू हो जाएंगे और 14 अप्रैल 2022 को खत्म होगा. इस दौरान किसी भी तरह का शुभ काम नहीं किया जाता है. मान्यता है कि इस महीने में सूर्य की चाल धीमी हो जाती है.
सूर्य के मीन या फिर धनु राशि में गोचर करने की अवधि खरमास कहलाती है. ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य देव जब गुरु की राशि धनु या फिर मीन में प्रवेश करते हैं, तो उस राशि के जातकों के लिए अच्छा नहीं होता. बृहस्पति सूर्यदेव के गुरु हैं. ऐसे में सूर्यदेव एक महीने तक अपने गुरु की सेवा करते हैं. खरमास के दौरान नियमों का पालन करना जरूरी होती है. इस दौरान कुछ चीजों का उल्लेख किया गया है कि क्या करें और क्या नहीं.
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खरमास में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह , नया वाहन क्रय करना , मकान की नीँव का मुहूर्त, पुराने मकान का पुनिर्माण आदि करने को वर्जित माना गया है.
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खरमास में विद्या अध्ययन आरम्भ , यज्ञोपित धारण, आदि भी वर्जित माना गया है .
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खरमास में माँस मदिरा का सेवन , कुशील आचरण , झूट बोलना , किसी की पीठ पीछे बुराई करना , व्यर्थ वाद विवाद करने से भी बचना चाहिए .
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खरमास में सुदूर की यात्रा को भी टालना ठीक रहता है .
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ज्योतिषियों के अनुसार खरमास के दिनों में भगवान भास्कर की पूजा और उपासना करने से साधक को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
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कहते हैं कि खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है. साथ ही घर में यश-वैभव का आगमन होता है.
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धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इन दिनों में गौ माता, गुरुदेव और साधुजनों की सेवा करें. इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है.
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खरमास के दौरान नियमित रूप से भगवान भास्कर को लाल रंग युक्त जल का अर्ध्य दें. साथ ही, सूर्य मंत्र का जाप करना लाभदायी है.
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खरमास में गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य अनुसार दान अवश्य करें.