रांची : छठी सिविल सेवा नियुक्ति परीक्षा की संशोधित मेरिट लिस्ट से 16 में से 14 दिव्यांग अभ्यर्थी भी बाहर हो गये हैं. भुक्तभोगी का कहना है कि मेरिट लिस्ट में दिव्यांगों के लिए तय आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया. हाइकोर्ट के आदेशानुसार, जेपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन की कंडिका-13 में वर्णित प्रावधानों के आलोक में मुख्य परीक्षा के सभी विषयों में न्यूनतम अहर्तांक का पालन करते हुए मेरिट लिस्ट जारी करनी थी.
कंडिका-13 के अनुसार ही न्यूनतम अहर्तांक सामान्य वर्ग के लिए 40% है. वहीं न्यूनतम अहर्तांक में छूट के आधार पर बीसी वन के लिए 34%, बीसी टू के लिए 36% और एससी/एसटी व महिला के लिए 32% तय है. आयोग ने दिव्यांग को लिस्ट से बाहर कर अन्य कैटेगरी के अभ्यर्थियों से सीटें भर दी हैं.
छात्र नेता उमेश कुमार ने कहा है कि दिव्यांगों के लिए न्यूनतम अहर्तांक के संबंध में झारखंड सरकार द्वारा जारी संकल्प में दिव्यांग के संबंध में न्यूनतम अहर्तांक को शिथिल करके चयन करने का प्रावधान है, लेकिन जेपीएससी ने नियमों की अवहेलना करते हुए 16 में से 14 दिव्यांग को संशोधित परिणाम से बाहर कर दिया है. दिव्यांग के चयन नहीं हो पाने की स्थिति में बची हुई सीट को बैकलॉग मानते हुए अगली परीक्षा के लिए अग्रसारित करने का प्रावधान है, जबकि ऐसा नहीं किया गया. दिव्यांग के लिए तय आरक्षण के सही अनुपालन नहीं किये जाने पर दंड का प्रावधान है.
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने 23 फरवरी 2022 को फैसला सुनाते हुए एकल पीठ के सात जून 2021 के आदेश को सही ठहराते हुए बरकरार रखा था. एकल पीठ ने छठी जेपीएससी की मेरिट लिस्ट व अनुशंसा को रद्द कर दिया था.
एकल पीठ ने इस गंभीर गलती के लिए जेपीएससी के जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ करवाई का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा था कि तत्कालीन जिम्मेवार अधिकारियों की जिम्मेवारी तय करते हुए उनके खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में इस तरह की दोबारा गलती नहीं हो सके.
Posted By : Sameer Oraon