EPFO Interest Rate: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) जमा पर ब्याज दर 44 साल के निचले स्तर पर आ गया है. पिछले वित्त वर्ष में EPF पर हितधारकों को 8.5 प्रतिशत ब्याज मिलता था, जिसे घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया गया है. यह 44 साल में EPF पर सबसे कम ब्याज दर है. इससे पहले ईपीएफ पर ब्याज दर सबसे कम 8 फीसदी 1977-78 में थी.
ईपीएफओ ने 31 मार्च को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष (2021-22) के लिए ब्याज दर उसके करीब 5 करोड़ सदस्यों के लिए तय की. श्रम मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गुवाहाटी में हुई सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की बैठक में ब्याज दर को 8.1 फीसदी करने की अनुशंसा की गयी.
इस अनुशंसा को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पास भेजा जायेगा और उससे मंजूरी मिलने पर इसे अधिसूचित किया जायेगा. बयान में कहा गया, ‘सरकारी गजट में ब्याज दर आधिकारिक रूप से अधिसूचित की जायेगी. इसके बाद ईपीएफओ अपने सदस्यों के खातों में ब्याज जमा करवा देगा.’
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सूत्रों ने कहा कि ईपीएफओ के पास जमा धन पर उसकी आय के आधार पर ब्याज दर तय की जाती है. जमाराशि 13 प्रतिशत बढ़ी है, वहीं ब्याज से आय केवल 8 प्रतिशत बढ़ी है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर ब्याज दर 8.5 रखने का निर्णय मार्च 2021 में लिया था. इसे अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय ने मंजूरी दी थी.
सरकारी योजनाओं में मिलने वाली ब्याज दरें | |||
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योजना | ब्याज दर | ||
ईपीएफओ | 8.1 फीसदी | ||
सुकन्या समृद्धि योजना | 7.6 फीसदी | ||
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम | 7.4 फीसदी | ||
जीपीएफ स्कीम | 7.1 फीसदी | ||
पीपीएफ | 7.1 फीसदी | ||
पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट* | 6.7 फीसदी | ||
एसबीआई फिक्स्ड डिपॉजिट** | 5.5 फीसदी | ||
“*5 साल की जमा पर ब्याज दर | ** 5-10 साल की जमा पर ब्याज दर | स्रोत: भारत सरकार” |
अब सीबीटी के हालिया फैसले के बाद 2021-22 के लिए EPF जमा पर ब्याज दर की सूचना वित्त मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजी जाएगी. मार्च 2020 में ईपीएफओ ने 2019-20 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर 7 साल में सबसे कम 8.5 फीसदी करने का फैसला किया था, जो 2018-19 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी थी. कमाई कम होने के कारण ईपीएफओ को पहले भी ब्याज दरें कम करनी पड़ी.
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वर्ष 2017-18 में ब्याज दर 8.55 फीसदी थी, वर्ष 2016-17 में यह 8.65 फीसदी थी. भाकपा सांसद बिनॉय बिस्वाम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से ईपीएफओ पर ब्याज दर कम करने के फैसले पर पुन: विचार करने का अनुरोध किया. सीतारमण के लिखे पत्र में बिस्वाम ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत सरकार ने चार राज्यों में जीत के तुरंत बाद अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये.
सरकारी योजनाओं में मिलने वाली ब्याज दरें | ||||||||
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योजना | ब्याज दर | पीएफ पर कब कितनी थी ब्याज दर | ||||||
ईपीएफओ | 8.1 फीसदी | वर्ष | ब्याज दरें | |||||
सुकन्या समृद्धि योजना | 7.6 फीसदी | 1989-90 | 12% | |||||
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम | 7.4 फीसदी | 2000-01 | 11% | |||||
जीपीएफ स्कीम | 7.1 फीसदी | 2010-11 | 9.50% | |||||
पीपीएफ | 7.1 फीसदी | 2018-19 | 8.50% | |||||
पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट* | 6.7 फीसदी | 2021-22 | 8.10% | |||||
एसबीआई फिक्स्ड डिपॉजिट** | 5.5 फीसदी | |||||||
“*5 साल की जमा पर ब्याज दर | ** 5-10 साल की जमा पर ब्याज दर | स्रोत: भारत सरकार” |
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने EPF की ब्याज दर में कमी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. कहा कि विधानसभा चुनाव के परिणाम बृहस्पतिवार को घोषित किये गये थे. भाजपा ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में जीत हासिल की थी, जबकि गोवा में उसने अपने दम पर कुल विधानसभा सीटों में से आधे का आंकड़ा छू लिया था. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, ‘इन विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद मोदी सरकार प्रतिशोध के साथ श्रमजीवी लोगों पर हमले बढ़ा दिये हैं. इस हमले का विरोध करें, जो नौकरी छूटने, मूल्यवृद्धि आदि के साथ बढ़ती कठिनाइयों की पृष्ठभूमि में आयी है.’
Posted By: Mithiesh Jha
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