हेलमेट-सीटबेल्ट के साथ व्यवसायिक वाहनों के फिटनेस जांच एवं मोडिफाइड साइलेंसर के विरुद्ध शनिवार को सभी जिलों में विशेष जांच अभियान चलाया गया. इस दौरान फिटनेस प्रमाण पत्र अपडेट नहीं पाए जाने/फिटनेस फेल वाहनों , मोडिफाइड साइलेंसर तथा बिना हेलमेट-सीटबेल्ट के वाहन चलाने वाले वाहन चालकों पर कार्रवाई की गई. यह अभियान सभी जिलों में जिला परिवहन पदाधिकारी, एमवीआई और ईएसआई द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया.
अभियान के दौरान कुल 1056 वाहनों की जांच में मोटर वाहन अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत 481 वाहनों पर जुर्माना लगाया गया एवं 61 वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई की गई. परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि फिटनेस फेल वाहनों की जांच के लिए आगे भी विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा.
परिवहन सचिव ने सभी व्यवसायिक वाहन मालिकों से अपील की है कि वे अपने ट्रकों एवं अन्य व्यवसायिक वाहनों की फिटनेस जांच करा लें एवं दुरुस्त होने के बाद ही चलाएँ। फिटनेस फेल वाहनों को चलाना न सिर्फ मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि सड़क सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है। आये दिन इससे सड़क दुर्घटना होती है।
जिला परिवहन कार्यालय द्वारा काॅमर्शियन और निजी वाहनों के लिये अलग-अलग अवधि के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. नई गाड़ियों के पंजीकरण के समय ही उन्हें प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है. 8 साल तक नये काॅमर्शियन वाहनों को यह दो साल के लिये जारी किया जाता है. वहीं 8 साल से पुराने व्यावसायिक वाहनों को हर साल जांच करवाकर फिटनेस प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है.