मुजफ्फरपुर. जूरन छपरा स्थित आइ हॉस्पिटल मामले में जांच टीम के अध्यक्ष एसीएमओ ने ब्रह्मपुरा थाने के अनुसंधानकर्ता को 200 पेज की बिंदुवार रिपोर्ट सौंपी है. एसीएमओ डॉ एसपी सिंह की ओर से सिविल सर्जन के माध्यम से भेजी गयी रिपोर्ट में अनुसंधानकर्ता द्वारा मांगे गये 18 बिंदुओं पर विस्तृत ब्योरा दिया है. इसमें आइ हॉस्पिटल में तैनात चिकित्सक, पारामेडिकल स्टाफ समेत सभी प्रकार के कर्मचारियों की सूची भी शामिल की गयी है. हॉस्पिटल प्रबंधन की ओ से एसीएमओ को उपलब्ध कराये गये कागजातों के साथ अस्पताल संचालन के लिये सरकार की गाइडलाइन समेत अन्य बिंदुवार रिपोर्ट 200 पेज की भेजी गयी है.
एसीएमओ ने बताया कि पूर्व में भी रिपोर्ट भेजी गयी थी, लेकिन केस के अनुसंधानकर्ता ने बिंदुवार रिपोर्ट मांगी. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन से संबंधित कागजात मंगाकर सरकार के प्रोटोकॉल के साथ रिपोर्ट भेजी गयी है. 22 नवंबर को मोतियाबिंद का 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था. इसके बाद संक्रमण फैला, इसमें 19 लोगों की आंखें निकालनी पड़ी. इसके बाद सिविल सर्जन ने ब्रह्मपुरा थाना में नामजद केस दर्ज कराया था. इसी के अनुसंधान के क्रम में सिविल सर्जन से रिपोर्ट मांगी थी.
मुजफ्फरपुर आंख कांड में अंधेपन के शिकार हुए मरीजों को न्याय दिलाने और उन्हें पर्याप्त मुआवजा देने की मांग को लेकर बिहार सिविल सोसाइटी के बैनर तले शुक्रवार को न्याय यात्रा निकाल कर राजभवन मार्च किया गया. मुजफ्फरपुर स्थित भारत माता नमन स्थल से निकली यह यात्रा पटना पहुंची थी. राजभवन के पास यात्रा में शामिल लोगों की पुलिस से तीखी नोक झोंक भी हुई.
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इस मौके पर बिहार सिविल सोसाइटी मुजफ्फरपुर के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने कहा कि मुजफ्फरपुर आइ हॉस्पिटल आंख कांड में दुर्घटना को 110 दिन पूरे हो गये हैं और इसी बीच पटना हाइ कोर्ट में हमारे द्वारा दायर जनहित याचिका में दिये गये निर्देश के आलोक में मात्र एक लाख रुपये प्रत्येक मरीज को दिया जाना अपर्याप्त है. अंधेपन के शिकार हुए मरीजों के हित में विभिन्न संगठनों के समन्वय समिति द्वारा किये जा रहे आंदोलन के भी 100 दिन पूरे हो गये हैं. अब तक इस कांड में नामजद किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि पूरी दुर्घटना की जांच उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित समिति से करवायी जाये. बिहार सरकार प्रत्येक मरीज को बीस-बीस लाख रुपये राहत राशि दे. प्रबंधन द्वारा अंधेपन के शिकार प्रत्येक मरीज को 50-50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाये. उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल के कार्यालय स्थित पदाधिकारियों को मांग पत्र सौंपा. प्रतिनिधि मंडल में युवा संघर्ष शक्ति संगठन के राष्ट्रीय संयोजक अनय राज, अमित कुमार मुनमुन, राष्ट्रीय जन-जन पार्टी के जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में अंधेपन के शिकार मरीज और उनके परिजन मौजूद थे.