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विकास का मुद्दा जीता

इस बार प्रमोद सावंत के नेतृत्व में विकास के नाम पर चुनाव लड़ा गया और कहा गया कि यह डबल इंजन की सरकार है. यह सच है कि सावंत ने अपने कार्यकाल में बहुत अच्छा काम किया है और गोवा में विकास दिखा भी है.

इस बार गोवा विधानसभा चुनाव भाजपा व दूसरे दलों के लिए बहुत खास रहा है, क्योंकि यह चुनाव बिना मनोहर पर्रिकर के लड़ा गया है. मनोहर पर्रिकर की दोनों ही दलों में या कहें कि पूरे गोवा में एक अलग तरह की पहचान रही है. ऐसे में जब बिना मनोहर पर्रिकर के यह चुनाव लड़ा जा रहा था, तो किसी को भी इस बात का भान नहीं था कि जनता किस तरह की प्रतिक्रिया देगी.

हालांकि, यह उम्मीद जरूर की जा रही थी कि विधानसभा चुनाव में भाजपा अच्छा करेगी, क्योंकि इससे पूर्व वह पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर चुकी है. पर आप और टीएमसी के आ जाने से लगा था कि यह समीकरण कुछ बदल सकता है.

मनोहर पर्रिकर के गुजरने के बाद जब प्रमोद सावंत गोवा के मुख्यमंत्री बने, तब भाजपा के भीतर उनका उस तरह का कद नहीं था जैसा पर्रिकर का था. पार्टी के अंदर भी उनको बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया जा रहा था. लेकिन कह सकते हैं कि वे कैडर के आदमी थे और भाजपा का झुकाव कैडर के लोगों की तरफ होता है. हो सकता है मनोहर पर्रिकर ने भी अपने बाद मुख्यमंत्री के लिए पहले उनका नाम सुझाया हो.

इस तरह प्रमोद सावंत ने गोवा की सत्ता संभाली. प्रमोद सावंत के नेतृत्व में पंचायत स्तर के चुनाव में भाजपा ने अच्छा परिणाम दिया. संभवत: इसी कारण इस बार उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया. इस बार प्रमोद सावंत के नेतृत्व में विकास के नाम पर चुनाव लड़ा गया और कहा गया कि यह डबल इंजन की सरकार है. यह सच है कि सावंत ने अपने कार्यकाल में बहुत अच्छा काम किया है और गोवा में विकास दिखा भी है.

जहां तक आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस की बात है, तो कहा जा सकता है कि गोवा के लोगों ने उन्हें खास पसंद नहीं किया. बाकी राज्यों से यदि गोवा की तुलना करें, तो गोवा बहुत अलग राज्य है. टीएमसी को गोवा के लोगों ने एक वायलेंट पार्टी की तरह देखा है. जिस तरह से उसका प्रचार होता था या जिस तरीके से टीएमसी की प्रवक्ता यहां बात करती थीं, वह लोगों को पसंद नहीं आया, क्योंकि गोवा के लोग बहुत शांतिप्रिय हैं.

यह उच्च शिक्षित व महिला प्रधान राज्य है, यहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. यह वास्तविकता है कि यहां भाजपा की जीत में महिलाओं ने निर्णायक भूमिका निभायी है. आम आदमी पार्टी ने जो भी सीटें जीती हैं, वह इसलिए कि जो भाजपा विरोधी मत था, वह आम आदमी पार्टी को मिला.

गोवा के लोगों के सामने यह प्रश्न था कि जब कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर ही अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है, तो वह गोवा में क्या करेगी. सो, उन्होंने आप को कांग्रेस के विकल्प के रूप में चुना. इसी कारण कांग्रेस की भी सीटें कम हुई हैं. टीएमसी और आप का गोवा में आना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि वे गोवा के जरिये दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रवेश करना चाहते हैं. यदि ऐसा हो जाता है, तो राष्ट्रीय दल बनने की उनकी इच्छा पूरी हो सकती है. इन दोनों दलों ने गोवा को लेकर प्रयोग किया है. इन्हें जो मत व सीटें मिली हैं, संभवत: वह दक्षिण भारत में प्रवेश के लिए गेटवे का काम करेगा.

यदि हम इन पांचों राज्यों के चुनाव की बात करें, तो पंजाब को छोड़ कर बाकी के चार राज्यों में भाजपा की सरकार बन रही है़ इस पूरे चुनाव की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार महिलाओं ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. यदि प्रत्येक महिला सक्रियता से मतदान के लिए आगे नहीं आती, तो जैसा परिणाम सामने आया है, वैसा नहीं आता.

भाजपा ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए जिस तरीके से काम किया है उससे महिलाओं का भाजपा पर विश्वास पुख्ता हुआ है. एक महिला के लिए सुरक्षा से बड़ी और कोई चीज नहीं होती है. कह सकते हैं कि भारतीय राजनीति में एक नयी तरह की सोच सामने आयी है, जहां महिलाएं चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. महिलाएं भाजपा को एक ऐसे दल के रूप में देख रही हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए काम कर रही है. कुल मिलाकर, इन चुनावों का राष्ट्रीय राजनीति पर जो असर होगा वह यह कि अब महिलाओं की भागीदारी बढ़-चढ़कर दिखायी देगी.

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