नई दिल्ली : दलगत नफा-नुकसान के हिसाब से सियासी गलियारों में चहलकदमी करने वाली ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई है. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना से पहले वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर आडिट ट्रेल) पर्ची के मिलान के साथ वोटों की गिनती को लेकर सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई है. अदालत ने मंगलवार को इस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होगी.
यूपी में सोमवार को सातवें और आखिरी चरण का मतदान के साथ पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के लिए 10 मार्च को मतगणना होगी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि मतगणना के दौरान ईवीएम के वोटों की गिनती वीवीपैट पर्चियों के मिलान के साथ होना चाहिए. अदालत में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सहमति दे दी है. याचिका में इवीएम वोटों की गिनती शुरू होते ही वीवीपैट के सत्यापन की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले को लेकर 9 मार्च को सुनवाई करेगा.
सर्वोच्च अदालत में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने मांग की है कि मतगणना में आखिरी के बजाय ईवीएम वोटों की गिनती की शुरुआत में ही वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी भी की है. कोर्ट ने कहा कि हमने चुनाव आयोग को इसकी जानकारी दे दी है. देखते हैं, इसमें क्या किया जा सकता है.
बताते चलें कि देश में पांच राज्यों यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. जिसमें पंजाब, उत्तराखंड, गोवा में एक-एक चरण में जबकि मणिपुर में दो चरण में तो वहीं यूपी में सात चरणों में मतदान हुए हैं. सभी राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती 10 मार्च को होनेवाली है.