16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Women’s Day 2022: रूढ़िवादिता को तोड़ सशक्तिकरण की प्रतीक बनीं देश की इन मजबूत महिलाओं के बारे में जानें

Women's Day 2022: महिला दिवस पर हम आपको बता रहे हैं उन महिलाओं और लड़कियों के बारे में जो हर महिला के लिए एक स्थायी भविष्य बनाने के लिए रूढ़ियों को तोड़ रही हैं.

Women’s Day 2022: हम सभी जानते हैं कि महिलाओं की संस्कृति, राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक उपलब्धियों को याद करने के लिए हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है. लेकिन हम में से बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि 1910 में क्लारा जेटकिन नामक एक महिला ने इसका समर्थन किया था, जब उन्होंने कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय बनाने का विचार सुझाया था. महिला दिवस पर हम आपको बता रहे हैं उन महिलाओं और लड़कियों के बारे में जो सभी के लिए एक स्थायी भविष्य बनाने के लिए रूढ़ियों को तोड़ रही हैं.

Undefined
Women's day 2022: रूढ़िवादिता को तोड़ सशक्तिकरण की प्रतीक बनीं देश की इन मजबूत महिलाओं के बारे में जानें 7
कैप्टन तानिया शेरगिल: लड़ाकू जूते पहने कर डट कर किया मुकाबला

चाहे वह गणतंत्र दिवस परेड में कोर ऑफ सिग्नल के सभी पुरुषों के मार्चिंग दल का नेतृत्व कर रही हो या पहली लड़ाकू पायलट बनी हो, सेना में महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वे कुछ भी हासिल कर सकती हैं. 2020 में, कैप्टन तानिया शेरगिल ने गणतंत्र दिवस परेड में कोर ऑफ़ सिग्नल्स के सभी पुरुषों के मार्चिंग दल का नेतृत्व किया. हालांकि, इससे बहुत पहले, 96 वर्षीय रमा मेहता (खंडवाला) आजाद हिंद फौज के दूसरे लेफ्टिनेंट, प्लाटून कमांडर बनीं और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में युद्धक भूमिकाओं में आने वाली पहली महिला हैं.

Undefined
Women's day 2022: रूढ़िवादिता को तोड़ सशक्तिकरण की प्रतीक बनीं देश की इन मजबूत महिलाओं के बारे में जानें 8
पायल जांगिड़ : विवाह के चंगुल से बच निकली और बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया

नौ साल की उम्र में, पायल जांगिड़ को राजस्थान में बाल विवाह की एक पुरानी परंपरा के तहत शादी करने के लिए मजबूर किया गया था. हालांकि, वह जबरन विवाह के चंगुल से बच निकली और बाल विवाह के खिलाफ एक अभियान को आगे बढ़ाने की कसम खाई. एक दशक बाद, अब 17 वर्षीय पायल दुनिया में महामारी की चपेट में आने से पहले न्यूयॉर्क में आयोजित गोलकीपर्स ग्लोबल अवार्ड्स समारोह में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा चेंजमेकर अवार्ड जीतने वाली पहली भारतीय हैं. वह भाग गई और समाज को इस सामाजिक बुराई से मुक्त करने का फैसला किया. उन्हें पता था कि यह शादी करने की उम्र नहीं बल्कि पढ़ाई करने की है लेकिन वह अपने माता-पिता को मना नहीं सकी. अपनी शादी को सफलतापूर्वक रोकना न केवल पायल के लिए बल्कि उसउम्र के सभी बच्चों के लिए भी एक बड़ी जीत थी.

Undefined
Women's day 2022: रूढ़िवादिता को तोड़ सशक्तिकरण की प्रतीक बनीं देश की इन मजबूत महिलाओं के बारे में जानें 9
गुलाबो सपेरा : गर्भनाल के साथ जिंदा दफनाया गया था

1973 में राजस्थान के सपेरा समुदाय में जन्मी गुलाबो सपेरा को उनकी गर्भनाल के साथ जिंदा दफनाया गया था. समुदाय में पैदा हुई हर लड़की की यही नियति थी . नन्ही गुलाबो को उसकी मौसी ने आधी रात को कब्र खोदकर बचा लिया. गुलाबो राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्य कालबेलिया की निर्माता हैं. पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित गुलाबो अपने समुदाय की पहली और एकमात्र महिला हैं जिन्हें पिछले 12 वर्षों में देश के सम्मानित नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. राजस्थान पर्यटन विभाग की अधिकारी तृप्ति पांडे, गायिका इला अरुण की बहन ने पुष्कर में गुलाबों को नाचते हुए देखा. उन्होंने कहा कि तुम ऐसे नाच रही हो जैसे तुम्हारे शरीर में कोई हड्डी नहीं है और बाद में उन्होंने गुलाबो के पिता को उसी शाम उनके शो में प्रदर्शन करने के लिए मना लिया. इस वाकये ने गुलाबो के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया. आज हजारों लड़कियां दुनिया भर में यह नृत्य कर रही हैं और कालबेलिया नृत्य रूप का विस्तार कर रही हैं.

Undefined
Women's day 2022: रूढ़िवादिता को तोड़ सशक्तिकरण की प्रतीक बनीं देश की इन मजबूत महिलाओं के बारे में जानें 10
मीराबाई चानू: टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं

24 जुलाई को, 26 वर्षीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं और महिलाओं के भारोत्तोलन में देश का पहला रजत पदक भी. मणिपुर के इंफाल पूर्व में एक छोटे से गांव, ओंगपोक काकचिंग से, वह प्रशिक्षण केंद्र तक पहुंचने के लिए 32 किमी की यात्रा करती थीं. क्यों पैसे कि कमी थी और गाड़ी में पैसे बरबाद करने के बजाय पौष्टिक भोजन के लिए पैसे बचाना चाहती थी जबकि वह जानती थीं कि उस पैसे से वह दो दिन का भोजन भी नहीं जुटा सकती थीं. उनके अनुसार मैं सप्ताह में एक बार एक गिलास दूध और कुछ मांसाहारी भोजन करती. मीराबाई ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीता था. वह कहती हैं लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं लेकिन कई बार मुझे लगता है कि वे कई चीजों में भाग नहीं लेना चाहती हैं. लड़कियों को अपनी मानसिकता बदलने और खुद पर भरोसा करने की जरूरत है. अब इनकी नजर 2024 के पेरिस ओलंपिक पर हैं.

Undefined
Women's day 2022: रूढ़िवादिता को तोड़ सशक्तिकरण की प्रतीक बनीं देश की इन मजबूत महिलाओं के बारे में जानें 11
नीना गुप्ता: मसाबा को पालना बेहद जटिल था

नीना गुप्ता, ऐसे समय में जब शादी से बाहर बच्चे के बारे में सोचा भी नहीं गया था, बधाई हो की अभिनेत्री ने अपने जीवन में बहुत कठिन रास्ते पर चलना चुना. वह कहती हैं मैं समाज द्वारा निर्धारित मानदंडों के खिलाफ गई थी, और मेरे लिए इसमें रहना और मसाबा (गुप्ता) को पालना बेहद जटिल था. दुख की बात है कि आज भी कुछ नहीं बदला है. समाज वही है, अभिनेत्री कहती हैं.

Undefined
Women's day 2022: रूढ़िवादिता को तोड़ सशक्तिकरण की प्रतीक बनीं देश की इन मजबूत महिलाओं के बारे में जानें 12
स्नेहा शाही: जलवायु परिवर्तन के पैरोकार

आज का युवा बुद्धिमान, जिम्मेदार है और अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य के निर्माण के बारे में सोचता है. बेंगलुरु में अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड द एनवायरनमेंट में पीएचडी की छात्रा स्नेहा शाही कुछ ऐसा ही सोचती हैं. स्नेहा सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए काम कर रही हैं, जिसने भारत के जलाशयों को जाम कर दिया है. उनके काम ने शहरी धारा से 700 किलो प्लास्टिक को साफ करने में मदद की है जिसके परिणामस्वरूप मगरमच्छों को उनके प्राकृतिक आवास में वापस लाया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें