Varanasi on 7th March: धार्मिक नगरी काशी शुरू से ही आतंकियों के निशाने पर रही है. इस पवित्र नगरी ने एक बार नहीं, बल्कि चार बार धमाकों का दंश झेला है. आतंकियों ने दशाश्मेध घाट, संकट मोचन, कैंट रेलवे स्टेशन, कचहरी तक में धमाके कर निर्दोषों की जानें ली है. आज तक इसमें संलिप्त पाए गए दोषियों को सजा नही मिल पाई. सपा की सरकार बदलकर भाजपा की सरकार भी आ गई, मगर किसी ने इस केस पर अब तक ध्यान नहीं दिया.
7 मार्च 2006 को शाम के समय लोगों का मंदिर में दर्शन पूजन चल रहा था. मंदिर के ठीक पास में एक वैवाहिक कार्यक्रम चल रहा था. हर ओर वेद मंत्र और हनुमान चालीसा का पाठ हो रहा था. तभी वैवाहिक स्थल के पास से एक तेज धमाके की आवाज आयी और कुछ लाशों के साथ दर्जनों लोग घायल नजर आये. ब्लास्ट की गूंज इतनी तेज थी कि आधा शहर किसी बड़ी घटना से सहम उठा. ठीक उसी वक्त एक और धमाका कैंट रेलवे स्टेशन के पर्यटक रूम के बगल में होता है. जमीन खून से रंगी नजर आती है.
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धमाका इतना शक्तिशाली था कि जमीन में दो फिट के गड्ढे बन जाते हैं. संकट मोचन और कैंट रेलवे स्टेशन के सीरियल ब्लास्ट में 27 लोगों की मौत हो जाती है और 160 के ऊपर लोग घायल होते हैं. काशी में आज सीरियल ब्लास्ट को 16 साल पूरे हो जाएंगे. सात मार्च 2006 को संकट मोचन मंदिर और कैंट स्टेशन पर दो बड़े धमाके हुए थे. इस दौरान वाराणसी के गोदलिया दूध मंडी के पास दो कुकर बम बलास्ट होने से पहले बरामद हुए थे. बरामद कुकर बम को बम स्काइव्ड ने ब्लास्ट होने से पहले डिफ्यूज कर दिया था.
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हैरानी की बात ये है कि वाराणसी सीरियल बम ब्लास्ट के 23 आरोपियों में से एकमात्र पकड़े गए आरोपी वलीउल्लाह को आजतक सजा नहीं हुई. केस अब तक पेंडिंग पड़ा हुआ है. गौरतलब है कि वाराणसी के संकट मोचन मंदिर, रेलवे कैंट स्टेशन पर पांच मिनट के अंतराल पर 7 मार्च 2006 को सीरियल ब्लास्ट हुए थे. ब्लास्ट में कई लोगों की मौत हो गई थी.
इस मामले में सीबीसीआईडी ने कुछ दिन बाद इलाहाबाद के फूलपुर निवासी वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया था. इसमें अन्य आरोपियों में शामिल कुछ और नाम भी सामने आये थे. इनमें मुस्तकीम, जकारिया और चंदौली के लौंदा झांसी गांव का शमीम भी शामिल था. मगर वलीउल्लाह के अलावा एजेंसियों के हाथ दूसरा कोई आरोपी नहीं आया. कहा जाता है कि यह सभी बांग्लादेश के रास्ते पाकिस्तान भाग गए.
वलीउल्लाह इस समय गाजियाबाद जेल में है. वकीलों द्वारा मुकदमा न लड़ने के कारण विस्फोट से संबंधित वलीउल्लाह का केस गाजियाबाद ट्रांसफर हुआ था. 23 नवंबर 2007 को लखनऊ और अयोध्या सहित वाराणसी की कचहरी परिसर में सीरियल ब्लास्ट में तीन वकील समेत नौ लोगों की जान चली गई थी और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
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ऐसा कहा जाता है कि कचहरी परिसर के अंदर वकीलों ने वलीउल्लाह को जमकर पीटा था. इसी कारण अयोध्या, लखनऊ और काशी कचहरी में सीरियल ब्लास्ट किए गए थे. वलीउल्लाह इस समय गाजियाबाद जेल में है और भगोड़ा घोषित आतंकी शमीम अभी पकड़ से बाहर है.
वाराणसी के वकीलों ने उसका मुकदमा लड़ने से मना कर दिया था. इसके बाद केस को हाई कोर्ट ने गाजियाबाद के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. तब से केस की सुनवाई गाजियाबाद के जिला जज की कोर्ट में चल रही है. संकटमोचन व कैंट स्टेशन पर 7 मार्च 2006 को हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी वलीउल्लाह व शमीम पर से प्रदेश सरकार ने गुपचुप तरीके से मुकदमा वापसी की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार के विशेष सचिव राजेंद्र कुमार की ओर से इस बाबत पत्र जिला प्रशासन को भेजा गया था.
इस आतंकवादी घटना को याद कर के काशी की जनता सिहर उठती है. इतने साल बीत जाने के बाद भी जनता के जेहन में 7 मार्च 2006 याद आ जाता है. आज तक इस मामले में दोषियों को सजा नहीं मिल पायी है. इस पूरी दिल दहला देने वाली घटना में गिरफ्तारी बस एक आरोपी वलीउल्लाह की हुई थी, जो मास्टर माइंड था. बाकी जांच में एजेंसी के हाथ आज भी खाली हैं. काशी की जनता को आज भी न्याय का इंतजार है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी