पटना. कॉलेज ऑफ कॉमर्स में फंड के अभाव में कई भवनों का निर्माण लंबे समय से शुरू ही नहीं हो सका है. कॉलेज में जी प्लस थ्री सभागार सह परीक्षा भवन का निर्माण इस वजह से अब तक शुरू नहीं हो सका है. जबकि यह प्रस्ताव काफी पहले से सरकार को भेजा हुआ है. 42837 स्क्वॉयर फीट जमीन इसके लिए कॉलेज के द्वारा उपलब्ध करा दी गयी है. उक्त भवन की डीपीआर भी बनी हुई है. इसकी लागत करीब साढ़े ग्यारह करोड़ रुपये है. बिहार स्टेट एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के द्वारा यह बनना है, लेकिन समस्या यह है कि बिना राशि के भवन कैसे बने? इसके अतिरिक्त कॉलेज में लैब के लिए नया भवन बनाना है, लेकिन कॉलेज के पास फंड का अभाव है. चूंकि अभी पुराने प्रस्ताव का ही राशि स्वीकृत नहीं हुई है, नये भवन का प्रस्ताव नहीं भेजा जा रहा है.
कॉलेज में परीक्षा भवन नहीं होने से जब भी परीक्षा का केंद्र दिया जाता है, मजबूरीवश क्लास रूम नहीं होने से क्लास को बीच में रोकना पड़ता है. कॉलेज में हमेशा कोई न कोई परीक्षा का केंद्र रहता है. इस प्रकार कई बार क्लास को रोक कर परीक्षा करानी पड़ती है. इस वजह से समय पर सिलेबस पूरा होने में बहुत परेशानी होती है. सभागार एक है तो वह छोटा है, जबकि नैक में बेहतर ग्रेड के लिए और अच्छा सभागार होना जरूरी है.
कॉलेज में कुछ ऐसे भी प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें रुसा के तहत फंड स्वीकृत है, लेकिन बिहार राज्य एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलमेंट कॉरपोरेशन द्वारा काम नहीं शुरू किया गया है. इसमें एक है टेक्निकल भवन में ऊपर फ्लोर का निर्माण कार्य है. दो करोड़ के इस प्रोजेक्ट में एक करोड़ कॉलेज को मिला है. आधी राशि कॉरपोरेशन को दे भी दी गयी है लेकिन अब तक टेंडर ही नहीं हुआ है. वहीं एक प्रोजेक्ट के तहत कॉलेज के पूर्वी साइड में स्थित भवन की मरम्मत का काम होना है. उसमें राशि मिलने और टेंडर होने के बाद भी अब तक ठेकेदार के द्वारा काम शुरू नहीं किया गया है.
कॉलेज को नैक में ए ग्रेड प्राप्त था. लेकिन छह महीने पहले ग्रेडिंग फिलहाल समाप्त हो चुकी है. कॉलेज को फिर से नैक ग्रेडिंग के लिए मई तक आवेदन करना है. लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर नहीं होने से तैयारी उस प्रकार से नहीं हो पा रही है, जैसे कि होनी चाहिए. फंड नहीं होने से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. दूसरी तरफ जिन प्रोजेक्ट्स में फंड मिल चुका है, उसमें बिहार राज्य एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के द्वारा अब तक काम शुरू नहीं किया गया है. -तपन कुमार शांडिल्य, प्राचार्य, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय