बिहार में शराबबंदी के बाद गांजा समेत अन्य सभी मादक पदार्थों की तस्करी से बढ़ती जा रही है. 2020 तक आते-आते स्थिति यह हो गयी कि देशभर में गांजा तस्करी में बिहार पहले स्थान पर पहुंच गया. पूरे देश में जब्त किये गये 45 हजार 592 किलो गांजा का 30 फीसदी हिस्सा यहीं से बरामद किया गया. बिहार में 12 बड़े मामलों में 13 हजार 446 किलो गांजा जब्त किये गये हैं.
देश में दूसरे नंबर पर नागालैंड में नौ हजार एक किलो, यूपी में आठ हजार 386 किलो, छत्तीसगढ़ में पांच हजार 842 किलो, तेलंगाना में तीन हजार 434 किलो, महाराष्ट्र में दो हजार 283 किलो गांजा की खेप पकड़ी गयी. डीआरआई (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) की तरफ से तस्करी को लेकर जारी राष्ट्रीय स्तर की इस रिपोर्ट में पूरी हकीकत सामने आयी है.
डीआरआई की रिपोर्ट में मुख्य रूप से 2020 में की गयी जब्ती से जुड़े आंकड़े को ही प्रस्तुत किये गये हैं. 2021 में की गयी जब्ती से जुड़ी रिपोर्ट भी डीआरआई के स्तर से प्रकाशित नहीं हुई है. परंतु यह तय है कि 2021 में गांजा के जब्ती की मात्रा में थोड़ी बढ़ोतरी ही हुई है.
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2016 से 2019 के दौरान बिहार में गांजा तस्करी के मामले बढ़े थे, लेकिन वे राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक जब्ती वाले राज्यों की श्रेणी में नहीं आता था. 2020 तक स्थिति काफी बदल गयी और बिहार देश में गांजा तस्करी में सबसे आगे निकल गया. इसमें यहां से गुजरने वाली गांजा की खेप की जब्ती भी शामिल हैं.
बिहार के रूट का उपयोग यूपी, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के अलावा नेपाल तक गांजा की खेप पहुंचाने के लिए तेजी से होने लगा है. आंध्रप्रदेश, ओड़िसा और उत्तर-पूर्वी राज्यों से यहां सबसे ज्यादा गांजे की खेप आती है.