हावड़ा: यूक्रेन से मेडिकल छात्रा संचयिता चट्टोपाध्याय भी भारत लौट आयी. वह बाली की रहनेवाली है. बेटी को सुरक्षित देख उसके माता-पिता ने राहत की सांस ली. एयरपोर्ट पर माता-पिता अपनी बेटी को देख फूट-फूट कर रोने लगे. संचयिता ने आपबीती सुनाते हुए कहा, ‘मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि मैं घर लौट पाऊंगी. यूक्रेन में बमों की आवाज से मैं 10 दिनों तक सो नहीं पायी. अब कुछ दिन चैन की नींद लूंगी.’
शाम ढलते ही भयावह हो जाती थी स्थिति
संचयिता वर्ष 2020 में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गयी थी. वह यूक्रेन के टरनोपिल नेशनल मेडिकल कॉलेज में दूसरे वर्ष की छात्रा है. उसने बताया कि युद्ध छिड़ने के बाद वे लोग रात में बंकर में रहते थे. शाम ढलते ही स्थिति भयावह हो जाती थी. बमों की आवाज से इलाका थर्रा उठता था. बड़ी मुश्किल से दोपहर का खाना मिल पाता था. रात को भूखे पेट सोना पड़ता था.
एक-एक कर सभी साथी छोड़ रहे थे हॉस्टल
एक-एक कर सभी साथी हॉस्टल छोड़ रहे थे. संचयिता ने भी कई बार निकलने की चेष्टा की, पर हिम्मत नहीं हुई. सात दिन बीतने के बाद समूचा हॉस्टल खाली हो गया. इस बीच, तीन घंटे के युद्धविराम की घोषणा हुई. तब संचयिता ने टैक्सी की और 50 किलोमीटर दूर यूक्रेन-रोमानिया बॉर्डर के पास पहुंची. टैक्सीवाले ने उसे 10 किलोमीटर पहले ही उतार दिया और 10 हजार रुपये किराया लिया.
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रोमानिया में कदम रखा तो ली राहत की सांस
वहां से वह पैदल रोमानिया सीमा पर पहुंची. रोमानिया में कदम रखने के बाद घरवापसी की उम्मीद जगी. वहां मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारी उन लोगों को एक होटल में ले गये. फिर रोमानिया से वह नयी दिल्ली होते हुए गुरुवार रात कोलकाता पहुंची. अब संचयिता की चिंता है कि वह आगे की पढ़ाई कैसे करेगी. उसका कहना है कि युद्ध जल्द खत्म हो और फिर वह मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन जा सके.
जल्द लौटेगी देवारती, परिवार से मिले बंगाल के मंत्री
उधर, एक अन्य छात्रा देवारती दास यूक्रेन में अपने हॉस्टल से निकलकर पोलैंड पहुंच गयी है. वह मध्य हावड़ा के सियालडांगा की रहनेवाली है. अगले एक-दो दिन में वह भी हावड़ा लौट आयेगी. मंत्री अरूप राय ने उसके परिजनों से मिलकर हरसंभव मदद का भरोसा दिया है.
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Posted By: Mithilesh Jha