Aligarh News: डॉक्टर को यूं ही भगवान का दूसरा रूप नहीं कहते. लोगों का विश्वास और उम्मीदों को डॉक्टर हमेशा से खरे उतरने की जी जान से कोशिश करते हैं, जिसमें वह सफल भी होते हैं. ऐसा ही एक मामला अलीगढ़ से सामने आया है, जहां एएमयू (AMU) के जेएनएमसी (JNMC) में तीन साल की एक बच्ची को दुर्लभ सर्जरी कर बचा लिया गया. बच्ची की त्वचा नीली पड़ रही थी. जन्म से बच्ची का हार्ट वॉल्व भी खराब था. हालत भी लगातार बिगड़ती जा रही थी.
बाराबंकी की रहने वाली आयशा की त्वचा नीली पड़ रही थी और वह भोजन के बीच तेजी से सांस लेने, पसीना निकलने और वजन नहीं बढ़ने की समस्या से ग्रस्त थी. बच्चे का हार्ट वॉल्व जन्म से ही खराब था. एएमयू के जेएनएमसी में 6 घंटे की लंबी दुर्लभ सर्जरी की गई, जिसके बाद लड़की की हालत में सुधार है.
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डॉ मानेक यादव, डॉ शमायल रब्बानी, डॉ. सरताज गुरु ने आयशा की बड़ी धमनियों की सफलतापूर्वक सर्जरी की, जो हृदय में वेध और फुफ्फुसीय वॉल्व के स्टेनोसिस से फट गई थीं. डॉ. शाद अबकरी, डॉ. मोइज़ क़दवई ने लड़की का उपचार किया. ऑपरेशन के दौरान डॉ. दीप्ति चन्ना कार्डियक एनेस्थेटिस्ट थीं. डॉ. साबिर अली खान ने रोगी के परफ्यूजन की व्यवस्था की. ऑपरेशन के बाद बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. फरोग और डॉ. असमा ने बच्ची की देखभाल की, जबकि डॉ. मेहताब अहमद ने कार्डियक सीटी की.
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फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के डीन प्रो. राकेश भार्गव और जेएनएमसी के प्रिंसिपल प्रो. शाहिद अली सिद्दीकी ने कहा कि, एएमयू के जेएनएमसी में सर्जरी कराने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से हैं और भारत सरकार की आरबीएस योजना के लिए मुफ्त सर्जरी एक बड़ी राहत है.
रिपोर्ट- चमन शर्मा