रांची: पोषण अभियान के पायलट प्रोजेक्ट के तहत छह जिलों में चल रही योजना में काम कर रही पोषण सखी के बकाया मानदेय का भुगतान राज्य सरकार करेगी़. फिलहाल इनकी सेवा जारी रखने को लेकर कोई विचार नहीं है़. पूरे राज्य में कुपोषण का आकलन कर सरकार कोई फैसला लेगी.
यह बात शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास कल्याण विभाग की मंत्री जोबा मांझी ने सदन को कही. माले विधायक विनोद सिंह ने विधानसभा में जानकारी दी कि राज्य के छह जिले चतरा, गिरिडीह, धनबाद, गोड्डा, दुमका और कोडरमा में आंगनबाड़ी केंद्रों में काम कर रही छह हजार पोषण सखी का मानदेय पिछले 11 महीने से बंद है़ सरकार इनके मानदेय का भुगतान करे़ सरकार यह भी बताये कि इनकी सेवा जारी रहेगी या नही़ं
पक्ष-विपक्ष के विधायक मामले में प्रश्नकर्ता विनोद सिंह के साथ आये़ विधायकों का कहना था कि यह जनहित का मामला है़ कुपोषण के खिलाफ लड़ाई की बात है़ राज्य में बच्चे कुपोषित हैं और इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए़
विभागीय मंत्री जोबा मांझी ने सदन को बताया कि वर्ष 2017 से इस मद में पैसा देना केंद्र ने झारखंड सहित अन्य राज्यों में बंद कर दिया है़ 11 महीने के बकाया का भुगतान राज्य सरकार करेगी़ अनुपूरक बजट में 38 करोड़ की व्यवस्था इसके लिए की गयी है़ मंत्री का कहना था कि बड़ा बजट लगेगा़ सेवा जारी रखने के लिए पूरे राज्य का आकलन करेंगे़ मुख्यमंत्री से बात कर इस पर निर्णय होगा़ छह जिला ही नहीं, पूरे राज्य के लिए सोचेंगे़
माले विधायक विनोद सिंह का कहना था कि कुपोषण के मामले में 116 देशों की सूची में भारत 101 स्थान पर है. उसमें झारखंड की स्थिति और खराब है़ स्थिति यह है कि 29 हजार बच्चे अपना पहला जन्म दिन नहीं देख पाते़ विधायक सरयू राय का कहना था कि बड़ा जनहित का मामला है़ राज्य के लिए आवश्यक कार्य है़ सरकार फैसला ले़ विधायक सुदेश महतो का कहना था कि विधायक विनोद सिंह के आंकड़े सही हैं,
तो सरकार बताये कि वह क्या सोच रही है़ विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि छह जिलों में ही नहीं, बल्कि सरकार को संपूर्णता में सोचना चाहिए़ गरीब पोषण सखी बड़ा काम कर रही है़ं इनकी सेवा बंद कर देने से इनके बच्चे ही कुपोषित हो जायेंगे़ विधायक दीपिका पांडेय ने कहा कि कुपोषण बड़ी लड़ाई है़ जिन महिलाओं को काम में लगाया गया है़, उन्हें हटाया नहीं जाये़
महिला व बाल विकास कल्याण विभाग ने 2016 में पोषण अभियान के लिए छह जिलों का चयन किया़ इसके तहत पोषण सखी बहाल की गयीं. आंगनबाड़ी केंद्र में लगभग 10 हजार पोषण सखी काम करती हैं. केंद्र सरकार के निर्देश पर सेवा शर्त और तीन हजार रुपये प्रति माह मानदेय तय किये गये. इसमें केंद्र का अंशदान 75 प्रतिशत और राज्य का अंशदान 25 प्रतिशत था़ केंद्र सरकार ने अपना अंशदान बंद कर दिया है़ राज्य सरकार ने इस मामले में केंद्र से राय भी मांगी है़
Posted By: Sameer Oraon