रांची : यूक्रेन के ओडेसा में पढ़ रही एमबीबीएस अंतिम वर्ष की छात्रा रासिका खेमका ने कहा कि युद्ध छिड़ते ही वे और उनके सभी साथी दहशत में आ गये थे. रासिका के अनुसार 26 फरवरी को वह अन्य छात्राओं के साथ वहां से निकली और 27 फरवरी को मालडोआ पहुंची. वहां से रोमानिया आयी, जिसके बाद राहत की सांस ली.
छात्रा के अनुसार जिस बस से वह जा रही थी, उसमें गोली लगी थी, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ. इसके सभी को बंकर में ले जाया गया. रासिका के अनुसार रास्ते में पेट्रोल की दिक्कत होने के कारण उसे 30 किमी पैदल चलना पड़ा. माइनस एक डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ठंड में काफी परेशानी हुई.
बुधवार की शाम को चार बजे विमान रोमानिया से उड़ा, जिसके बाद राहत की सांस ली. गुरुवार की सुबह पांच बजे विमान दिल्ली पहुंचा. वहां से दूसरे विमान से वह पहुंची. रांची एयरपोर्ट पर रासिका की मां रीमा खेमका व पिता संजय खेमका उसका इंतजार कर रहे थे. बेटी को देखते ही परिजनों ने उसे गले लगा लिया. बाद में सभी जमशेदपुर के लिए रवाना हुए. पूरे परिवार ने केंद्र सरकार की पहल की सराहना की. रासिका के अलावा गुरुवार को डालटेनगंज की सिम्पी कुमारी भी विमान से रांची पहुंची. इसके बाद वह अपना घर लौट गयी.
रांची. यूक्रेन से गुरुवार को 25 विद्यार्थी झारखंड पहुंचे हैं. इनमें 13 लोग रांची एयरपोर्ट पर आये. गुरुवार को आनेवालों में दुमका के मो अलकमा आदिल, धनबाद के अनिमेष कुमार, गोड्डा के मो दानिश अरजू, गुमला की सोनिया हैजेल टोपनो, गुमला के राहुल कुमार दातियो, हजारीबाग के दानिश अहसन, रांची के तरुण प्रसाद, रांची के आकाश, गढ़वा के मो साजिद अली,
असरफ अंसारी, रांची की प्रेरणा, पलामू की शिंपी कुमारी, पूर्वी सिंहभूम की रसिका खेमका, कोडरमा की अनामिका मिश्रा, पश्चिमी सिंहभूम की स्मृति दास, साहिबगंज के मो मसरूर अहमद व मो असफाक अहमद, पाकुड़ के कमला कांत साहा, रांची के रजत कुमार नायक, पाकुड़ के अब्दुल रहीम, पूर्वी सिंहभूम की सुप्रिया रानी, हजारीबाग की बसुंधरा, पलामू के हेमंत कुमार व साहिबगंज के मो फैजन अहमद शामिल हैं.
Posted By: Sameer Oraon