Jharkhand Budget 2022: झारखंड की हेमंत सरकार ने गुरुवार को तीसरा बजट विधानसभा में पेश किया. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वित्त मंत्री डाॅ रामेश्वर उरांव ने एक लाख एक हजार एक सौ एक करोड़ रुपये का बजट पेश किया. बजट पेश होने के बाद सत्ता पक्ष ने इसे सर्वांगीण विकास का बजट बताया, तो विपक्ष इस बजट को सिरे से खारिज किया.
वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश होने के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने इसे राज्य के सर्वांगीण विकास का बजट बताया. साथ ही कहा कि यह बजट राज्य के किसानों, मजदूरों, छात्रों, महिलाओं और व्यापारियों के विकास पर केंद्रित है. कहा कि हम चाहते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ राज्य के हर व्यक्ति को मिले. सरकार सबकी भलाई के लिए कृतसंकल्पित है. इस बजट में सुदूर गांव के ग्रामीणों के विकास पर भी जोर दिया गया है.
वहीं, झारखंड कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने इसे विकासोन्मुखी बजट बताया. कहा कि इस बजट से राज्य में विकास दिखेगा. वहीं, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने इस बजट का स्वागत किया. कहा कि गांव, गरीब किसान, नौजवान, महिलाओं एवं आम जनता को केंद्र बिंदु मानकर पेश किया गया बजट मील का पत्थर साबित होगा. साथ ही इस बजट में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ-साथ ईज ऑफ लिविंग के तहत प्रावधान अपने आपमें सरकार के स्पष्ट इरादों की झलक है.
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श्री ठाकुर ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि आधारभूत संरचनाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं में समांजस्य कायम रहे. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए मानव दिवस के सृजन की लक्ष्य को बढ़ाकर 12 करोड़ 50 लाख किया जाना सरकार की इच्छाशक्ति को दर्शाता है. पारा शिक्षकों की लंबे समय से चले आ रहे समस्या का निदान करते हुए सहायक शिक्षक के रूप में नामित्त किये जाने तथा इनके मानदेय के मद में राज्य के योजना के अंतर्गत 600 करोड रुपये का प्रावधान किया जाना स्वागत योग्य है.
वहीं, पूर्व सीएम रघुवर दास ने इस बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे दिशाहीन बजट बताया. कहा कि यह सरकार बजट की राशि खर्च करने में नाकाम रही है, तो इस बार कैसे उम्मीद करें कि सरकार बजट की राशि खर्च कर पायेगी. इसके बावजूद बजट का आकार बढ़ाना समझ से परे है. बजट में किसी वर्ग का कोई ख्याल नहीं रखा गया है. सिर्फ हवा-हवाई बातें की गयी है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि राज्य सरकार का बजट विकास को नकारने वाला है. यह कहीं से भी राज्य के लिए अपेक्षित विकास और चुनौतियों के लिए समीचीन नहीं कहा जायेगा. एक ओर संसाधन अभिवृद्धि में वित्तीय प्रबंधन नकारा सिद्ध हो रहा है, वहीं उपबंधित राशि के विनियोजन सही समय पर सफलतापूर्वक नहीं किये जाने के कारण जमीनी स्तर पर इसके आउटकम नहीं दिखाई पड़ता है. झारखंड में विकास की असीम संभावनाएं हैं. आवश्यकता इस बात कि है कि समय सापेक्ष चुनौतियों को अपने आर्थिक प्रबंधन एवं सकल विनियोजन को साकार करने की. केंद्र सरकार ने जहां ससमय केंद्रीय करों, अंशदान एवं आर्थिक सहायता में कोताही नहीं बरती, वहीं राज्य सरकार कई मामलों में स्वकर राजस्व में भी पीछे है. जिस कारण उपबंधित राशि में कटौती दिखाई पड़ती है.
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विपक्ष के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने इसे निराशापूर्ण बजट करार दिया. कहा कि इस बजट में कोई रोडमैप प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसमें न तो भविष्य में राज्य के समेकित विकास को परिभाषित किया गया है और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, समाज कल्याण, अवसंरचना, बिजली, ग्रामीण-शहरी विकास, रोजगार की दिशा में कोई रोडमैप ही पेश किया गया है.
लोगों को दिग्भ्रमित करने वाला एवं उद्देश्यहीन बजट : सुदेश कुमार महतो
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने कहा कि बजट में आम आवाम और गरीब वर्ग के विकास के लिए कोई चर्चा नहीं की गयी है. बजट में रोजगार के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है. यह बजट लोगों को दिग्भ्रमित करनेवाला और युवाओं ठगने वाला बजट है. बजट में प्रदेश के मध्यम वर्ग एवं गरीब तबके तथा किसान के विकास के लिए ना कोई प्रावधान दिख रहा है और ना ही कोई रोडमैप. महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए भी इस बजट में कोई घोषणा नहीं की गयी है. सरकार ने बजट के नाम पर बस घालमेल कर कागज का पुलिंदा रख दिया.
Posted By: Samir Ranjan.