Russia Ukraine War : यूक्रेन पर रूसी हमले का आज आठवां दिन है. यूक्रेन के कई बड़े शहरों पर रूस कब्जा कर चुका है और उसकी सेना लगातार राजधानी कीव की ओर बढ़ रही है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव किया गया है जिसमें रूसी सैनिक को अविलंब यूक्रेन से वापस बुलाने की बात कही गयी है. इस प्रस्ताव के पक्ष में 100 से ज्यादा देशों ने वोट डाला, जबकि चार देश ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. इस प्रस्ताव पर भारत तटस्थ रहा और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
हालांकि भारत ने हमेशा यह कहा है कि वह चाहता है कि युद्ध रूक जाये, लेकिन वोटिंग का हिस्सा ना बनकर भारत ने रूस का समर्थन किया है. ऐसे में सबके मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों भारत रूस के खिलाफ वोट नहीं कर रहा है, जबकि रूसी हमले की वजह से सैकड़ों भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए हैं. भारत ने हमेशा यह कहा है कि युद्ध की बजाय बातचीत से मसले का समाधान किया जाना चाहिए.
इसका जवाब यह है कि रूस और भारत की मित्रता बहुत गहरी है और जब भी भारत पर विश्व का दबाव बढ़ा है रूस ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करके भारत की मदद की है. अबतक छह बार रूस से भारत के पक्ष में वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. वही वजह है कि अमेरिका और अन्य देशों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद भी भारत अपने पक्ष पर अड़ा हुआ है.
भारत के पुराने मित्र के रूप में रूस ने हमेशान भारत का समर्थन किया है. जानकारी के अनुसार अबतक कुल मिलाकर छह बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने भारत के पक्ष में अपने वीटो पावर का प्रयोग किया है.
गौरतलब है कि कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों को खारिज करने के लिए रूस ने अपने वीटो पावर का प्रयोग किया है. रूस के ऐसा करने से कश्मीर दो देशों का मामला बना रहा और इसका अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं हुआ. 1971 में रूस ने तीन बार चार दिसंबर, पांच दिसंबर और 13 दिसंबर को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत के विरोध में लाये गये प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पावर का प्रयोग किया था. 22 जून 1962 को भी रूस ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों को लेकर लाये गये प्रस्ताव पर अपना वीटो पावर लगाया था. 1957 में भी कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव आया था, जिसपर वीटो लगाकर रूस ने भारत का समर्थन किया था और कश्मीर के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण होने से रोका था.
इसके अलावा दिसंबर 1961 में जब भारत ने गोवा को मुक्त किया और पुर्तगाल के खिलाफ कार्रवाई की तो रूस भारत के साथ खड़ा था और उसने इस वक्त भी अपने वीटो पावर का प्रयोग कर भारत की मदद की थी. अगस्त 2019 में भारत ने जब कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया और राज्य का विभाजन किया तो पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में मामला उठाया था, उस वक्त भी रूस ने भारत का समर्थन किया था.
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल पांच राष्ट्र संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और रूस को यह अधिकार प्राप्त है कि अगर वे किसी प्रस्ताव के विरोध में अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हैं तो वह प्रस्ताव पास नहीं होगा, इस वीटो पावर कहा जाता है. यह सभी देश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं और इन्होंने संघ के गठन में महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी. संयुक्त राष्ट्र में रूस ने सबसे अधिक़ 120 बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है, जबकि अमेरिका ने 82 बार यूके ने 29 बार और चीन और फ्रांस ने 16-16 वीटो पावर का इस्तेमाल किया है.