कीव/नई दिल्ली : यूक्रेन को रूस से कमजोर समझकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीते गुरुवार को उस पर हमला करने का ऐलान कर दिया और आज लगातार पांचवां दिन पर भी वे उस पर लगातार हमलों पर हमले किए जा रहे हैं. जब पांच दिन पहले पुतिन ने हमला करने का ऐलान किया था, तब भी यूक्रेन के राष्ट्रपति घबराए नहीं. इसके विपरीत उन्होंने अपने नागरिकों के हौसले को बढ़ाया, उन्हें रूस के खिलाफ उकसाया और सैनिकों को मैदान में डटे रहने का संदेश दिया. वहीं, वैश्विक समुदाय खासकर पश्चिमी देशों से मदद की अपील की. आज उसी का नतीजा है कि एक छोटे से और कमजोर देश का शासक दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति को पानी पिलाए हुए है. जानते हैं कैसे? इस सवाल का जवाब पढ़कर आप भी चौकेंगे, लेकिन यह हकीकत है और वह यह कि वोलोदिमीर जेलेंस्की केवल एक मोबाइल के बूते पुतिन को पानी पिलाए हुए हैं.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के हमलों के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंसकी ने तमाम विषम परिस्थितियों और अपने देश में हो रहे बम धमाकों के बावजूद पूरी दुनिया में अपनी ताकत को केवल एक मोबाइल फोन के जरिए बढ़ाया. उन्होंने मोबाइल फोन के जरिए ही ऐसी कुटनीतिक चाल चली, जो आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए चुनौती बनी हुई है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी सैनिकों ने चारों तरफ से यूक्रेन की राजधानी कीव को घेर लिया. रूस के तोप यूक्रेन पर बम के गोले बरसा रहे थे, तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के सामने हथियार डालने का ही एकमात्र विकल्प बचा था और ऐसा लग रहा था कि कुछ ही घंटों में रूस यूक्रेन पर कब्जा जमा लेगा.
घबराहट में उन्होंने खुद दुनिया के सामने यह कहा था कि उनके पास केवल 96 घंटे तक रूसी सैनिकों का सामना करने के लिए गोला-बारूद और हथियार बचे हैं. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और न ही रूस के सामने रहम करने की भीख मांगते हुए घुटने टेके. इसके उलट उन्होंने मोबाइल फोन के जरिए सोशल मीडिया को हैंडल किया और अपने देश के लोगों का हौसला बढ़ाना शुरू कर दिया. वहीं, दूसरी ओर उसी मोबाइल फोन विश्व भर के नेताओं को फोन करके मदद की अपील की. उनका फोन लगातार व्यस्त बताया जा रहा है. इसी का नतीजा है कि यूक्रेन के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 में से 11 सदस्य देश एक सुर के साथ खड़े हो गए.
इतना ही नहीं, रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को तेज करने और यूक्रेन के समर्थन में रविवार की देर रात संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा की हुई बैठक में भी उन 11 देशों ने अपना समर्थन जताया. इसके साथ ही, अमेरिका, यूरोपीय संघ और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के मोबाइल के जरिए किए गए फोन कॉल्स का ही नतीजा है कि यूरोपीय संघ ने बैंकों की भुगतान प्रणाली स्विफ्ट से रूस को बाहर कर दिया, जिसका नतीजा यह निकला कि रूस को अपने देश की मुद्रा रूबल को संभालने के लिए उसकी दरों में करीब 20 फीसदी का इजाफा करना पड़ा.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अपने मोबाइल के जरिए ही पश्चिमी देशों के नेताओं को राजी करने में कामयाब रहे और रूस के खिलाफ पिछले 4 दिनों के भीतर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं. गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, अपने लोगों की बहादुरी को लेकर यूरोपीय जनता की राय कैसी है? यह महसूस करते हुए राष्ट्रपति जेलेंस्की लगातार पश्चिमी देश के नेताओं से फोन पर संपर्क में बन रहे. उन्होंने ट्विटर के जरिए अपने लोगों और सहयोगियों का हौसला बढ़ाया और प्रशंसा की तो दूसरी तरफ रूस को सुनाते भी रहे.
Also Read: कमेडियन से राष्ट्रपति बने जेलेंस्की ने यूक्रेन को विनाश के मुंह में धकेला! अब दुनिया से मांग रहे सुरक्षा
यूक्रेन पर हमला करने से अमेरिका, यूरोपीय संघ, पश्चिमी देश और संयुक्त राष्ट्र संघ को रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं मिल रहा था, लेकिन उसने जैसे ही यूक्रेन पर हमला करना शुरू किया, पहले से ताक लगाकर बैठे देशों और संगठनों ने प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया. यूक्रेन पर हमला दुनिया के देशों को प्रतिबंध लगाने का मजबूत जमीन मुहैया करा दिया. पश्चिमी देशों ने जिस तेजी के साथ रूस पर प्रतिबंध लगाया, उससे वकील, अधिकारी और बैंकर भी हैरान हैं.
Also Read: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की अपील- भारत करे शांति की पहल, PM नरेंद्र मोदी ने दिया ये रियैक्शन
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने दिन की शुरुआत फोन कॉल से की. सबसे पहले उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों से बात की. इसके बाद यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष, इटली के प्रधानमंत्री, स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की. इसके बाद भी वह रुके नहीं. उनका फोन लगातार व्यस्त रहा. उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति रीसप तैयप एर्दोगन, अजरबैजान के राष्ट्रपति, डच के प्रधानमंत्री, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से व्यापक चर्चा की. इतने पर भी उनकी सूची में कई नाम बाकी थे. उन्होंने अगले कुछ मिनटों में जर्मन चांसलर, पोप, चेक प्राइम मिनिस्टर, पोलिश पीएम और आखिर में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअली बातचीत की.