पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि पुलिस की सक्रियता के कारण अपराध में काफी कमी आयी है. सशक्त पुलिसिंग के लिए इनकी संख्या बढ़ाकर एक लाख 42 हजार करनी है, लेकिन सेलेक्शन का काम जितनी तेजी से होना चाहिए, वह नहीं हो पाया है. इसमें तेजी लाने के निर्देश उन्होंने संबंधित इकाईयों को दिये.
बिहार में एक लाख की आबादी पर 115 पुलिस की संख्या अभी निर्धारित है. इसे बढ़ाते हुए प्रति लाख आबादी पर 165 से 170 पुलिस बल करना है. कई राज्यों में एक लाख की आबादी पर 190 से 195 पुलिसकर्मियों की संख्या है. मुख्यमंत्री रविवार को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस-5 के कैंपस में मौजूद मिथिलेश स्टेडियम में आयोजित बिहार पुलिस सप्ताह 2022 के समापन एवं वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे. यहां पहुंचते ही पहले सीएम ने परेड की सलामी ली, जिसमें महिला प्लाटून भी शामिल थी.
इस मौके पर बीएसएपी-5 के महिला और पुरुष प्लाटूनों ने मार्च पास्ट भी किया. सीएम ने कहा कि पुलिस बहाली में 2013 में महिलाओं को आरक्षण दिया गया, जिस वजह से यहां महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती देश के अन्य किसी बड़े राज्य से अधिक है. पुलिस में महिलाओं की तैनाती 37 प्रतिशत करने का लक्ष्य है.
अभी यह संख्या 25 फीसदी है. उन्होंने कहा कि आज के परेड में शामिल महिलाओं के चार ग्रुप को देखकर काफी अच्छा लग रहा है. हर थाने में अलग-अलग पद पर महिलाओं की पोस्टिंग की जा रही है. इसके मद्देनजर सभी थानों में अलग शौचालय समेत अन्य सभी सुविधाएं बहाल की जा रही हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2020 में बिहार का सभी तरह के आपराधिक घटनाओं में देश में 25वां स्थान पर है. क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से बिहार का देश में 12वां और जनसंख्या घनत्व में तीसरा स्थान है. इतना आबादी घनत्व देश और दुनिया में कहीं नहीं है. ऐसी स्थिति में अपराध को नियंत्रित रखना खुशी की बात है. 2021 में हत्या, दंगा, फिरौती के लिए अपहरण की घटनाओं में काफी कमी आयी है. उन्होंने कहा कि सभी थाना और ओपी का अपना भवन होना चाहिए. यह काम कोरोना के कारण पिछले दो साल से थोड़ा प्रभावित हुआ था, लेकिन अब इसे तेजी से पूरा करना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि विवाद के कारण ही राज्य में 60 फीसदी हत्याएं होती हैं. इससे संबंधित विवाद को निपटाने के लिए थाना स्तर पर सप्ताह में एक दिन, अनुमंडल स्तर पर महीने में दो दिन और जिला स्तर पर महीने में एक दिन बैठक हर हाल में निरंतर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक दंगा और कानून तोड़ने की कुछ लोग कोशिश में लगे रहते हैं, लेकिन पुलिस की सतत सक्रियता के कारण यह संभवन नहीं हो पा रहा है. इसे बनाये रखने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि शराबबंदी के पक्ष में सभी पुलिसकर्मियों ने शपथ ली थी, इसलिए विशेष निगरानी रखें. ताकि कोई गड़बड़ नहीं कर सके. कुछ लोग गड़बड़ी करने वाले हैं, लेकिन ऐसे लोग अपना, इस राज्य का और पुलिस का नुकसान कर रहे हैं. ऐसे लोग किसी सूरत में नहीं बचेंगे. उन्होंने कहा कि जब पुलिस वालों को अलग काम में लगाया जाता है, तो हर तरह से सहायता भी की जाती है. पुलिस बल के सभी लोगों को सेवा करते रहना चाहिए और समाज में प्रेम, भाईचारा का माहौल बनाएं रखने में अपनी भूमिका निभाएं. इससे समाज में एकता कायम होगी. लोगों की रक्षा करना ही पुलिस का धर्म है.
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह 2020 के अवसर पर राष्ट्रपति से विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किये गये निगरानी ब्यूरो के एडीजी सुनील कुमार झा समेत अन्य कर्मियों को सम्मानित किया. बिहार पुलिस सप्ताह के अवसर पर पुलिस के 207 पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को सम्मानित किया गया. इसमें एसपी मनीष कुमार, एसपी जगन्नाथ रेड्डी, एसपी संतोष कुमार, एसपी दयाशंकर, एसटीएफ एसपी विनोद कुमार, एसपी नरेश कुमार समेत अन्य अधिकारी शामिल हैं.