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Vijaya Ekadashi 2022 Date: विजया एकादशी व्रत आज, व्रत के नियम, शुभ मुहूर्त और पारण का समय नोट कर लें

Vijaya Ekadashi 2022 Date: फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. विजया एकादशी तिथि दो दिन 26 और 27 फरवरी को पड़ रही है लेकिन उदया तिथि मान्य होने के कारण विजया एकादशी व्रत 27 फरवरी को ही रखा जाएगा. जान लें इस व्रत के नियम, शुभ मुहूर्त, पारण का समय.

Vijaya Ekadashi Paran Time: विजया एकादशी पारण का शुभ समय

विजया एकादशी व्रत पारण के लिए शुभ समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक है.

Vijaya Ekadashi के दिन बन रहा शुभ योग

विजया एकादशी पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 27 फरवरी को सुबह 08:49 बजे से लग रहा है, जो अगले दिन सुबह 06:48 बजे तक रहेगा. जबकि त्रिपुष्कर योग 27 फरवरी की सुबह 08:49 बजे से प्रारंभ हो रहा है. और 28 फरवरी को सुबह 05:42 बजे तक रहेगा. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई प्रत्येक कार्य सफल होता है.

दान करने के बाद ही करें Vijaya Ekadashi व्रत का पारण

  • एकादशी के दिन सु​बह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.

  • भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.

  • व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.

  • व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.

  • एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.

  • द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.

  • दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.

Vijaya Ekadashi के दिन इन बातों का रखें ध्यान

अगर उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें. एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें. रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें.

Vijaya Ekadashi Vrat Katha: विजया एकादशी पूजा के दौरान कथा जरूर पढ़ें

विजया एकादशी कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने भगवान राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया, तब भगवान राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने मार्ग प्रदान किया. इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.

Vijaya Ekadashi: आज रखा जा रहा है विजया एकादशी व्रत

उदया तिथि के अनुसार विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जा रहा है. एकादशी तिथि समाप्त होने के बावजूद भी तिथि का प्रभाव पूरे दिन रहेगा, इसलिए भक्त ये व्रत 27 फरवरी को ही रखें. व्रत पारण के लिए शुभ समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक है.

Vijaya Ekadashi: एकादशी के दिन न करें ये काम

अगर उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें. एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें. रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें.

Vijaya Ekadashi Paran Time: विजया एकादशी व्रत क रहे तो जान लें पारण का सही समय

विजया एकादशी व्रत पारण के लिए शुभ समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक है.

Vijaya Ekadashi: बन रहे दो शुभ योग

विजया एकादशी पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 27 फरवरी को सुबह 08:49 बजे से लग रहा है, जो अगले दिन सुबह 06:48 बजे तक रहेगा. जबकि त्रिपुष्कर योग 27 फरवरी की सुबह 08:49 बजे से प्रारंभ हो रहा है. और 28 फरवरी को सुबह 05:42 बजे तक रहेगा. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई प्रत्येक कार्य सफल होता है.

Vijaya Ekadashi Vrat Kab Hi: विजया एकादशी व्रत कब है जानें

विजया एकादशी व्रत कब रखा जाएगा इस बात को लेकर संशय में रहने की जरूरत नहीं है. एकादशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी 2022, शनिवार के दिन सुबह 10:39 मिनट से होगी और तिथि का समापन 27 फरवरी, रविवार सुबह 08:12 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा. एकादशी तिथि समाप्त होने के बावजूद भी तिथि का प्रभाव पूरे दिन रहेगा, इसलिए भक्त ये व्रत 27 फरवरी को ही रखें. व्रत पारण के लिए शुभ समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक है.

Vijaya Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी व्रत के नियम

  • एकादशी का व्रत काफी कठिन माना गया है क्योंकि इसके नियम दशमी की शाम को सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं और द्वादशी की सुबह व्रत पारण तक मान्य होते हैं.

  • विजया एकादशी व्रत कर रहे हैं तो 26 फरवरी की शाम को सूर्यास्त के बाद सात्विक भोजन करें.

  • द्वादशी के दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.

  • एकादशी के दिन सु​बह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.

Vijaya Ekadashi Vrat Katha: व्रत कथा

विजया एकादशी कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने भगवान राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया, तब भगवान राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने मार्ग प्रदान किया. इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.

Vijaya Ekadashi Paran Time: विजया एकादशी पारण का समय

विजया एकादशी व्रत पारण के लिए शुभ समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक है.

Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी के दिन इन बातों का ध्यान रखें

अगर उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें. एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें. रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें.

Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी व्रत कथा

कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने भगवान राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया, तब भगवान राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने मार्ग प्रदान किया. इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.

Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी पूजा विधि

  • एकादशी के दिन सु​बह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.

  • भगवान नारायण को पीला चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी, प्रसाद, वस्त्र, दक्षिणा आदि अर्पित करें.

  • व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आरती करें.

  • व्रत निर्जल रखें यदि निर्जला व्रत रखना संभव न हो तो फलाहार और जल ले सकते हैं.

  • एकादशी की रात में जागरण करके भगवान के भजन और ध्यान करें.

  • द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे दान दक्षिणा दें.

  • दान करने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें.

Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी व्रत के नियम

  • एकादशी का व्रत काफी कठिन माना गया है क्योंकि इसके नियम दशमी की शाम को सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं और द्वादशी की सुबह व्रत पारण तक मान्य होते हैं.

  • विजया एकादशी व्रत कर रहे हैं तो 26 फरवरी की शाम को सूर्यास्त के बाद सात्विक भोजन करें.

  • द्वादशी के दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.

  • एकादशी के दिन सु​बह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें. दिन भर व्रत रखें.

Vijaya Ekadashi 2022: कब रखा जाएगा विजया एकादशी व्रत

विजया एकादशी व्रत कब रखा जाएगा इस बात को लेकर संशय में रहने की जरूरत नहीं है. एकादशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी 2022, शनिवार के दिन सुबह 10:39 मिनट से होगी और तिथि का समापन 27 फरवरी, रविवार सुबह 08:12 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा. एकादशी तिथि समाप्त होने के बावजूद भी तिथि का प्रभाव पूरे दिन रहेगा, इसलिए भक्त ये व्रत 27 फरवरी को ही रखें. व्रत पारण के लिए शुभ समय 28 फरवरी सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक है.

Vijaya Ekadashi 2022: बन रहे दो शुभ योग

विजया एकादशी पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 27 फरवरी को सुबह 08:49 बजे से लग रहा है, जो अगले दिन सुबह 06:48 बजे तक रहेगा. जबकि त्रिपुष्कर योग 27 फरवरी की सुबह 08:49 बजे से प्रारंभ हो रहा है. और 28 फरवरी को सुबह 05:42 बजे तक रहेगा. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई प्रत्येक कार्य सफल होता है.

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