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Bihar News: कोर्ट ने बीपीएससी से मांगी जानकारी, इंजीनियर बहाली में कम महिला अभ्यर्थियों का चयन क्यों ?

कोर्ट ने सचिव को कहा कि वे कोर्ट को यह बताएं कि असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल) के पद पर की जाने वाली नियुक्ति में 35 प्रतिशत रिक्तियों को महिला उम्मीदवार से भरने का निर्णय आयोग द्वारा किस आधार पर लिया गया है.

पटना. असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल ) के पद पर की जाने वाली नियुक्ति में 35 प्रतिशत रिक्तियों को महिला उम्मीदवारों से भरे जाने संबंधी सभी रिकॉर्ड के साथ पटना हाइकोर्ट ने बीपीएससी के सचिव को तीन मार्च को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया है. जस्टिस पीबी बजन्थरी की एकलपीठ ने सुषमा कुमारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. कोर्ट ने सचिव को कहा कि वे कोर्ट को यह बताएं कि असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल) के पद पर की जाने वाली नियुक्ति में 35 प्रतिशत रिक्तियों को महिला उम्मीदवार से भरने का निर्णय आयोग द्वारा किस आधार पर लिया गया है.

कोर्ट ने उनसे जानना चाहा है कि बीपीएससी ने मेरिट लिस्ट के आधार पर चयनित 703 उम्मीदवारों में से 35 प्रतिशत के हिसाब से 192 महिला उम्मीदवारों का ही चयन क्यों किया है. यदि 703 चयनित अभ्यर्थियों की गणना की जाती है तो 35 फीसदी के हिसाब से यह पद 246 होते हैं. कोर्ट ने उनसे पूछा है कि विज्ञापन संख्या – 02/ 2017 असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल ) के कितने पदों पर नियुक्ति करने के लिए निकाला गया था. कोर्ट ने आयोग के सचिव को कहा कि वे सुनवाई के समय राज्य सरकार और आयोग के बीच इस नियुक्ति को लेकर किये गये सभी संवाद से संबंधित सारे रिकॉर्ड को भी कोर्ट में प्रस्तुत करें. इस मामले पर अगली सुनवाई तीन मार्च को की जायेगी.

मानदेय विसंगति मामले में मुख्य सचिव निर्णय लें : हाइकोर्ट

पटना. हाइकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के अंतर्गत काम करने वाले कर्मियों के मानदेय में वृद्धि किये जाने के मामले में फिटमेंट कमेटी द्वारा की गयी अनुशंसा के आलोक में इसकी जांच कर तीन महीने में निर्णय ले लें. जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. फिटमेंट कमेटी ने सरकार को की गयी अनुशंसा में कहा है कि सरकार द्वारा संविदा पर रखे गये कर्मी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मियों से ज्यादा मानदेय पा रहे हैं, इसलिए इनके मानदेय में 40 प्रतिशत की वृद्धि की जाये.

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने बताया कि फिटमेंट कमेटी का गठन 30 सितंबर, 2015 को राज्य सरकार के राज्य स्वास्थ्य समिति के अंतर्गत काम करने वाले संविदा कर्मियों के मानदेय की विसंगतियों को दूर करने के लिए किया गया था. इसके बाद रिड्रेसल कमेटी का गठन छह अगस्त, 2016 को किया गया. 14 सितंबर, 2016 को निर्णय किया गया कि रिड्रेसल कमेटी ही फिटमेंट कमेटी का भी काम करेगी. फिटनेस कमेटी ने 10 फरवरी, 2017 को मानदेय में 40 फीसदी वृद्धि करने की अनुशंसा सरकार से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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