पूर्णिया. गर्भ में पल रहे साढ़े तीन महीने के शिशु को चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया. अल्ट्रासाउंड कराने पर शिशु जीवित पाया गया. शनिवार को यह मामला तब प्रकाश में आया जब महिला का पति मामले की शिकायत करने जेएमसीएच के अधीक्षक के पास पहुंचा. अस्पताल अधीक्षक डॉ विजय कुमार ने मामले की जांच का निर्देश दिया. उन्होंने बताया कि दोषी पाये जाने पर कार्रवाई की जायेगी. स्थानीय श्रीनगर हाता के रहनेवाले कुमार साहब की पत्नी ज्योति झा को शुक्रवार की सुबह अचानक रक्त स्राव होने लगा. वह साढ़े तीन माह की गर्भवती है.
आनन-फानन में पति ने पत्नी को जेएमसीएच के कंगारू केयर सेंटर में भर्ती कराया. ड्यूटी कर रही नर्स ने रक्त स्राव रोकने के लिए इंजेक्शन दिया. बाद में 11.30 बजे अस्पताल के डॉक्टर पहुंचे. पति ने बताया कि बगैर जांच किये उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि महिला के पेट में पल रहा बच्चा मर चुका है. महिला की जान बचाने के लिए गर्भपात कराना होगा. इसके बाद गर्भपात कराने के लिए दवाइयां दी जाने लगी. शाम को जब शिफ्ट बदला, तो दूसरी नर्स ने गर्भपात कराने से पहले महिला का अल्ट्रासाउंड और रिपोर्ट लेकर आने को कहा.
महिला का अल्ट्रासाउंड अस्पताल से बाहर निजी संस्थान में कराया गया. अल्ट्रासाउंड में बताया गया कि महिला के पेट में बच्चा जीवित है. यह सुनते ही वे दंग रह गये और राजकीय अस्पताल से बाहर निजी नर्सिंग होम में इलाज के लिए पत्नी को भर्ती कराया, जहां चिकित्सक द्वारा बताया गया कि गर्भपात कराने के लिए जो दवाइयां दी गयी इससे महिला के गर्भाशय का पानी सूख गया है. पति ने बताया कि डॉक्टर की लापरवाही की वजह से उनकी पत्नी की जान भी खतरे में पड़ गयी है.
मामले की शिकायत करने जब वे सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचे तो वहां प्रभार में मौजूद डॉक्टर साबिर ने बताया कि जब से सदर अस्पताल मेडिकल कॉलेज में बदला गया है, तब से अस्पताल की जिम्मेवारी अधीक्षक के अधीन हो गयी है. इसके बाद मामले की शिकायत करने अधीक्षक के पास गये. उन्होंने बताया कि गर्भपात की दवाई चलाने से बच्चा और जच्चा के शरीर पर गलत असर पड़ेगा. डॉक्टर की लापरवाही की वजह से बच्चे के साथ-साथ उनकी पत्नी की भी जान खतरे में पड़ गयी है.