गुमला जिले के 10 प्रखंड में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूल संचालित है. इसमें कई स्कूलों की छात्राएं समस्याओं से जूझ रही हैं. पहले नास्ता से लेकर भोजन तक का बजट अधिक था. परंतु अब प्रति छात्र 40 रुपये कर दिया गया है. जिससे छात्राओं को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है.
सप्लायर द्वारा भी जैसे तैसे सामग्री की आपूर्ति कर दिया जाता है. जिसका उदाहरण है डुमरी प्रखंड में फूड प्वाइजनिंग से 28 छात्राएं बीमार हो जाना. सब्जी की क्वालिटी ठीक नहीं रहने से छात्राएं बीमार हुई हैं. प्रभात खबर ने गुमला जिले में संचालित कस्तूरबा स्कूलों की समस्याओं व खाने-पीने की सामग्री की पड़ताल की है. पहले फेज में पालकोट व सिसई प्रखंड के कस्तूरबा गांधी स्कूलों पर रिपोर्ट है.
सिसई प्रखंड मुख्यालय से पांच किमी दूर शिवनाथपुर गांव में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय है. जहां तीन सौ छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. छात्राओं ने बताया कि स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती है. लॉकडाउन से पूर्व मेन्यू के आधार पर बढ़िया भोजन मिलता था. किंतु वर्तमान में सुबह शाम नास्ते में मूढ़ी, चूड़ा व चाय दिया जाता है.
दोपहर व रात के खाने में चावल, दाल व सब्जी मिलता है. शौचालय की टंकी फटने के कारण छात्राओं को शौच के लिए बाल्टी में पानी लेकर जाना पड़ता है. वार्डेन अनिता कुमारी ने बताया कि स्कूल में 6 से 12 तक कि पढ़ाई होती है. 6 से 8 तक की कक्षा के लिए स्वीकृत पद पांच है. किंतु वर्तमान में दो शिक्षक पदस्थापित हैं. घंटी आधारित छह शिक्षक रखे हैं.
इन्हीं के द्वारा 6 से 12 तक कि क्लास ली जाती है. जिससे सभी कक्षा की सभी क्लास नहीं हो पाती है. पूर्व में प्रति छात्र भोजन के लिए 16 सौ रुपया मिलता था. जिससे घटा कर 12 सौ रुपये कर दिया गया है. जिससे छात्राओं को मेन्यू के आधार पर भोजन नहीं मिल पाता है. बरसात के दिनों में छत से पानी का रिसाव होता है. मुख्य पथ से स्कूल भवन तक सड़क की समस्या है. इन सभी समस्याओं को उपायुक्त गुमला को अवगत करा दिया गया है. छात्राओं ने शिक्षक और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की मांग की है.
पालकोट प्रखंड के बघिमा कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जानकारी देते हुए वार्डेन प्रफुल्लित एक्का ने बताया कि हमारे स्कूल में सात सौ बालिका अध्ययनरत हैं. लेकिन छात्राओं को खाने के लिए पर्याप्त बर्तन नहीं है. न सोने के लिए बिस्तर है. पीने के पानी की भी समस्या है. इसके अलावा पढ़ने के लिए बेंच डेस्क की कमी है. जिस रूम में छात्राएं रहती हैं. वहां की छत से पानी रिसता है. बरसात के दिनों में बहुत ही कठिनाई का सामना करना पड़ता है. खान पान के बारे में पूछने पर वार्डेन ने बताया कि एक छात्रा में मात्र 40 रुपये मिलता है. बच्चों को सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम का नाश्ता व रात का खाना दिया जाता है. खाने पीने की सामग्री की सप्लाइ जिला से होती है. छात्राओं ने कहा कि क्वालिटीयुक्त भोजन की कमी हो गयी है.