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UP Election 2022: पीलीभीत सदर-बरखेड़ा में कभी दौड़ पाया हाथी, बीसलपुर में आज तक नहीं जीती सपा

UP Election 2022: सपा की साइकिल बीसलपुर विधानसभा में बीच में ही पंचर हो जाती है, तो वहीं पीलीभीत सदर और बरखेड़ा विधानसभा में कभी हाथी नहीं दौड़ पाया. मगर, कांग्रेस और भाजपा सभी सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है.

UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में चौथे चरण का मतदान बुधवार सुबह से शुरू हो गया है. यहां की चार विधानसभा सीटों के मतदाता अपने मत से 43 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. पीलीभीत की सदर, पूरनपुर, बरखेड़ा और बीसलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन इस बार सपा और बसपा भी मेहनत से चुनाव जीतने की कोशिश में हैं.

कांग्रेस- भाजपा को सभी सीटों पर मिली जीत

सपा की साइकिल बीसलपुर विधानसभा में बीच में ही पंचर हो जाती है, तो वहीं पीलीभीत सदर और बरखेड़ा विधानसभा में कभी हाथी नहीं दौड़ पाया. मगर, कांग्रेस और भाजपा सभी सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है.

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पीलीभीत सदर विधानसभा सीट का सियासी इतिहास

पीलीभीत सदर विधानसभा सीट पर 1989 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मरहूम (स्वर्गीय) रियाज अहमद ने जीत दर्ज की थी. 1991 के चुनाव में पहली बार भाजपा के वीके गुप्ता चुनाव जीतकर विधायक चुने गए. वह 1993 में भी जीते. 1996 के चुनाव में भाजपा के राज राय सिंह और 2000 के उपचुनाव में फिर भाजपा से वीके गुप्ता विधायक बनें, लेकिन 2002 के चुनाव में रियाज अहमद ने सपा के टिकट पर एक बार फिर जीत दर्ज की. उन्होंने 2007 और 2012 में भी जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई. 2017 के चुनाव में भाजपा के संजय गंगवार ने जीतकर भाजपा के खाते में फिर सीट डाल दी.

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बरखेड़ा सुरक्षित विधानसभा सीट का सियासी इतिहास

बरखेड़ा सुरक्षित विधानसभा में 1989 में निर्दलीय सन्नू लाल ने जीत दर्ज की.1991 और 1993 में भाजपा के टिकट पर किशन लाल जीतकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 1996 और 2002 में सपा के टिकट पर पीतमराम ने जीत दर्ज कर पहली बार सपा की साइकिल दौड़ाई. 2007 में भाजपा के सुखलाल विधायक चुने गए. इसके बाद बरखेड़ा परिसीमन में सुरक्षित से सामान्य हो गई. 2012 में हेमराज वर्मा चुनाव जीतकर सपा सरकार में मंत्री बने. मगर, 2017 के चुनाव में भाजपा के किशन लाल राजपूत ने जीत दर्ज की.

बीसलपुर विधानसभा में सपा की साइकिल कभी नहीं दौड़ पाई

बीसलपुर विधानसभा में 1989 में जनता दल के हरीश कुमार जीतकर विधायक चुने गए. 1991 और 1993 में भाजपा के टिकट पर रामशरण वर्मा चुनाव जीतकर विधायक बने. मगर, 1996, 2002 और 2007 में बसपा के अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू ने जीतकर हैट्रिक बनाई. वह बसपा की सरकार में मंत्री भी बने. 2012 और 2017 में भाजपा के रामशरण वर्मा ने जीत दर्ज की. यहां पर सपा की साइकिल कभी नहीं दौड़ पाई है. इस बार सपा से दिव्या गंगवार चुनाव लड़ रहीं हैं, तो वहीं बसपा से अनीस अहमद फूल बाबू मैदान में हैं. भाजपा ने विधायक रामशरण वर्मा के पुत्र विवेक वर्मा को टिकट दिया है.

पूरनपुर में फिर तीनों को जीत की उम्मीद

पीलीभीत की सुरक्षित विधानसभा पूरनपुर 2008 तक सामान्य थी. मगर, परिसीमन के बाद 2012 में यह सीट सुरक्षित हो गई. 1962 में गठित होने वाली पूरनपुर विधानसभा में कांग्रेस ने जीत से आगाज किया. 1974 में जनसंघ के हरीश चंद्र जीते. 1980 और 1985 में कांग्रेस के विनोद तिवारी विधायक बने थे. 1989 में जनता दल के हरनारायण जीतकर विधानसभा पहुंचे.1991 में प्रमोद कुमार मन्नू ने भाजपा के खाते में पहली बार सीट डाली. 1993 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने अपने भाई वीएम सिंह को विधायक बनवाया.

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पूरनपुर सीट पर 1996 में सपा ने पहली बार दौड़ाई साइकिल

पूरनपुर सीट पर 1996 में सपा के गोपाल कृष्ण ने पहली बार साइकिल दौड़ाई. 2002 में कांग्रेस के विनोद तिवारी ने फिर जीत दर्ज की. 2007 में बसपा के अरशद खां विधायक बने थे. 2012 में परिसीमन में आरक्षित होने के बाद सपा के पीतमराम चुनाव जीते. मगर, 2017 में बीजेपी के बाबूराम ने भाजपा के खाते में सीट जीतकर डाल दी. इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा जीत दर्ज कर चुकीं है.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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