देश-दुनिया में कम होते रहे कोरोना के आंकड़ों के बीच फिर एक बुरी खबर आ रही है. दरअसल, एक बार फिर ओमिक्रोन के बदले हुए रूप ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. बता दें, ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट BA.2 को लेकर जापान एक शोध किया गया. लेकिन शोध के जो नतीजे आये उसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया. शोध के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि, ओमिक्रोन बीए.2 (Omicron BA.2) वेरिएंट डेल्टा वायरस से भी ज्यादा घातक हो सकता है.
जापान के लैब स्टडी में वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान पाया कि, ओमिक्रॉन बीए. 2 की संक्रामकता काफी ज्यादा है, इस कारण यह कोरोना का एक बहुत खतरनाक वेरिएंट साबित हो सकता है. ओमिक्रॉन के इस वेरिएंट को लेकर अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपील की है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के इस नए उप स्वरूप को तुरंत चिंताजनक वेरिएंट घोषित किए जाना चाहिए.
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जापानी विशेषज्ञों ने कहा है कि स्टडी से पता चला है कि ओमिक्रॉन का BA.2 वायरस फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करता है. यह संक्रमित मरीज को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है. यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी चकमा दे देता है. एक खरगोश पर किए परीक्षण में पाया गया कि उसने खरगोश के फेफड़ों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था. बीए.2 सब स्ट्रैन के संक्रमण के मामले डेनमार्क और ब्रिटेन में पाए गए हैं. सबसे बड़ी बात की यह संक्रमण टीकों से तैयार हुई एंटीबॉडी के लिए भी प्रतिकूल है. विशेषज्ञ एरिक फेंग ने भी इसे बेहद खतरनाक वेरिएंट माना है.
गौरतलब है कि ओमिक्रॉन के बीए.2 सब स्ट्रैन को लेकर किए गए अन्य अध्ययन में भी इसे बेहद खतरनाक वायरस माना गया है. स्टडी में पाया गया है कि बीए.2 सब स्ट्रैन से रि-इंफेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऑस्ट्रेलिया में हुए शोध में कहा गया है कि ओमीक्रोन वेरिएंट के कारण संक्रमण के मामले काफी बढ़ जाते हैं. यह वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है.
इसके अध्ययन करने वाले टोक्यो विश्वविद्यालय के शोधकर्ता का तर्क है कि ये स्टडी के नतीजे साबित करते हैं कि BA.2 को खतरनाक वेरिएंट मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसे और अधिक बारीकी से निगरानी करने की आवश्यकता है.
Posted by: Pritish Sahay
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