राज्य में पहली बार प्राथमिक स्तर पर जनजातीय भाषा में पढ़ाई शुरू हुई है. किसी भी भाषा के विकास के लिए यह आवश्यक है कि स्कूल स्तर से उसकी पढ़ाई हो और अधिक से अधिक लोग उसे पढ़ें. लेकिन फिलहाल राज्य में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा पढ़नेवाले विद्यार्थी कम हैं.
राज्य में मैट्रिक स्तर पर 17 भाषाओं की पढ़ाई होती है. इनमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, अरबी और फारसी भी शामिल हैं. राज्य में जिलावार अधिसूचित 20 जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं में से 12 की पढ़ाई मैट्रिक स्तर पर होती है. इन सभी भाषाओं को मिलाकर मैट्रिक में प्रति वर्ष औसतन 60 से 65 हजार विद्यार्थी शामिल होते हैं. इनमें भी आधे विद्यार्थी उर्दू भाषा के हैं.
वर्ष 2021 की मैट्रिक परीक्षा को देखा जाये, तो कुल 4.33 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. जिनमें राज्य में जिलास्तर पर मान्यता प्राप्त जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के 62,545 परीक्षार्थी शामिल हुए. इनमें में 29,011 परीक्षार्थी उर्दू भाषा के थे. जिन भाषाओं की मैट्रिक स्तर पर पढ़ाई होती है, उनमें भी कुछ भाषाओं में विद्यार्थियों की संख्या एक हजार से भी कम है. इंटरमीडिएट स्तर पर इन भाषाओं की पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या और भी कम हो जाती है.
राज्य में अलग-अलग जिलों में अलग-अलग भाषाओं को क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा के रूप में मान्यता दी गयी है. जिन्हें जिलास्तरीय नियुक्ति में मान्यता मिली है, उनमें से आठ भाषाओं मगही, भोजपुरी, अंगिका, भूमिज, माल्तो, बिरहोरी, बिरजिया व असुर की पढ़ाई नहीं होती है.
राज्य में खड़िया को जनजातीय भाषा के रूप में चार जिलों में मान्यता दी गयी है. रांची, खूंटी, गुमला और सिमडेगा में खड़िया को जिलास्तरीय भाषा के रूप में मान्यता दी गयी है. पिछले वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में मात्र 59 परीक्षार्थी खड़िया भाषा की परीक्षा में शामिल हुए थे. इन जिलों से मैट्रिक की परीक्षा में 50 हजार से अधिक विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होते हैं.
मैट्रिक में जनजातीय भाषा में सबसे अधिक विद्यार्थी संताली पढ़नेवाले हैं. सबसे अधिक परीक्षार्थियों की संख्या संताली की होती है. संताली में 11224 परीक्षार्थी थे. संताली को राज्य में 24 में से 17 जिलों में जनजातीय भाषा के रूप में मान्यता दी गयी है.
राज्य में जितनी भी क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं को जिला स्तर पर मान्यता है , उनमें सबसे अधिक विद्यार्थी उर्दू में हैं. उर्दू की परीक्षा में 29011 परीक्षार्थी थे.
राज्य में उड़िया को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गयी है. उड़िया को पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम व सरायकेला-खरसावां में क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गयी है. मैट्रिक की परीक्षा में राज्य भर से मात्र 297 परीक्षार्थी उड़िया भाषा की परीक्षा में शामिल हुए थे.
राज्य में मैट्रिक परीक्षा में प्रति वर्ष चार लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल होते हैं, पर आठ जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा में परीक्षार्थियों की संख्या पांच हजार से भी कम हैं. जिन भाषाओं में वर्ष 2021 की परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या पांच हजार से कम थी, उनमें बंगला, मुंडारी, उड़िया, पंचपरगनिया, नागपुरी, कुरमाली व खड़िया शामिल हैं.
Posted By : Sameer Oraon