मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल कांड को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है. मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कई व्यक्तियों के आंख की रोशनी चले जाने के मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन द्वारा दायर जवाबी हलफनामा पर असंतोष जताया है. चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने मुकेश कुमार द्वारा इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की .
कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वे इस मामले में अपने स्तर से विस्तृत हलफनामा 25 फरवरी तक दायर करें . याचिकाकर्ता ने इस मामले की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी से करवाने का अनुरोध कोर्ट से किया है. मामला मुजफ्फरपुर के एक आंख अस्पताल से जुड़ा है .
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि कथित तौर पर हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गयी अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आंखें गवांनी पड़ीं .
राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध कोर्ट से किया.
याचिकाकर्ता ने कहा कि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ीं. जिनकी आंखें चली गयी हैं, उन्हें मुआवजा देने का निर्देश दिया जाये. याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि उक्त अस्पताल को राज्य सरकार व केंद्र से आर्थिक मदद भी मिली है .
POSTED BY: Thakur Shaktilochan