पटना. इडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने नोटबंदी के बाद ब्लैकमनी को व्हाइट करने के बड़े खेल का खुलासा 2016 के दौरान गया में किया था. वहां के जीबी रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया में दर्जनों फर्जी खातों में अवैध तरीके से पैसे को जमा करके इन्हें सफेद करने की जुगत की गयी थी. इस मामले में इडी ने दूसरी बार शुक्रवार को मुख्य आरोपितों में एक धीरज जैन और उनकी पत्नी रिंकी जैन की आठ करोड़ पांच लाख से ज्यादा की संपत्ति को जब्त कर लिया. जब्त की गयी इन संपत्तियों में जीबी रोड में मौजूद एक घर के अलावा गया शहर और आसपास के इलाकों में 13 से ज्यादा प्लॉट शामिल हैं. इसमें धीरज जैन के नाम पर छह और रिंकी जैन के नाम पर सात प्लॉट शामिल हैं. इसके अलावा इन दोनों के खातों में जमा 57.14 लाख भी जब्त किये गये हैं.
यह दूसरा मौका है, जब इस मामले में इडी ने संपत्ति जब्ती की कार्रवाई की है. इससे पहले धीरज जैन समेत अन्य आरोपितों की 14 करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति जब्त की गयी थी. इस तरह से अब तक इस मामले में इडी ने 22 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त कर ली है. इडी की जांच में इस मामले में कुल 44 करोड़ की गड़बड़ी की बात सामने आयी थी, जिस पर पीएमएलए के तहत मामला चल रहा है. आने वाले कुछ महीनों में शेष 22 करोड़ की भी संपत्ति सभी आरोपितों की जब्त की जायेगी. इडी ने अपनी जांच में इस केस में 26 लोगों को आरोपित बनाया था, जिनमें मोतिलाल, धीरज जैन, पवन कुमार जैन के अलावा दिल्ली के एक ब्रोकर बिमल जैन समेत अन्य मुख्य हैं.
धीरज जैन की कंपनी मेसर्स सर्वोदय ट्रेडर्स गया में मौजूद है. इस कंपनी में काम करने वाले कई मजदूरों और अन्य कई गरीबों के नाम पर फर्जी खाते खोले गये थे. इनके फर्जी खातों के माध्यम से गुजरात, मुंबई समेत अन्य शहरों के कई व्यापारियों के भी पैसे को ब्लैक से व्हाइट किया गया था. इस पूरे गोरखधंधे को अंजाम देने में वहां के व्यापारी मोतीलाल की भूमिका मुख्य रूप से सामने आयी थी. बाद में उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी. इस मामले में संबंधित बैंक शाखा के मैनेजर की भी मिलीभगत सामने आयी थी.
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इस मामले के शुरुआती शिकायतकर्ता शशि कुमार, राजेश कुमार के अलावा उनके परिजनों और मित्रों के नाम पर फर्जी बैंक खाते खोलकर ब्लैकमनी को सफेद करने का खेल किया गया था. इस केस में अलग-अलग खातों से 34 करोड़ 75 लाख रुपये दिल्ली स्थित एेसे फॉर्म के खाते में ट्रांसफर कर दिये गये थे, जो फॉर्म जमीन पर कहीं नहीं है. इस फर्जी संस्थान के खाते में करोड़ों रुपये ट्रांसफर करने के मामले में गया के इन सभी आरोपितों की भूमिका बेहद खास रही थी.