Firozabad News. सुहाग नगरी की टूंडला विधानसभा जाटव बाहुल्य के लिए जानी जाती है. यह सीट आरक्षित रहती है और हर बार इस सीट से आरक्षित प्रत्याशी ही मैदान में उतरता है. इस सीट पर 2017 में भाजपा के एसपी सिंह बघेल विधायक बने. वहीं 2019 में जब उन्होंने आगरा से सांसद लड़ी तो इस सीट को खाली छोड़ दिया. जिसके बाद 2019 में उपचुनाव हुए और बीजेपी के प्रेमपाल सिंह धनगर यहां से विधायक चुने गए.
इस बार फिर से बीजेपी ने प्रेमपाल सिंह धनगर पर अपना भरोसा जताया है. वहीं इस सीट से 3 बार बसपा के विधायक रहे राकेश बाबू को सपा ने टिकट दिया है. बसपा ने अमर सिंह जाटव को यहां से प्रत्याशी बनाया है और कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी योगेश दिवाकर पर अपना दांव चला है.
टूंडला सीट पर अगर जाति बाहुल्य की बात की जाए तो सबसे ज्यादा की संख्या में यहां जाटव वोटर हैं, जो कि 65 हजार के करीब है. इसके अलावा क्षत्रिय, यादव और बघेल यहां 40-40 हजार के करीब है. यहां से जो भी प्रत्याशी जीता है उसमें दलित वोटर की अहम भूमिका रहती है.
बीजेपी ने टूंडला विधानसभा से इस बार अपने वर्तमान विधायक प्रेमपाल सिंह धनगर पर भरोसा जताया है और उन्हें फिर से यहां की टिकट दी है. प्रेमपाल सिंह धनगर 2019 के उपचुनाव में यहां से विधायक चुने गए थे. उन्होंने समाजवादी पार्टी के महाराज सिंह धनगर को 17 हजार से अधिक वोटों से हराया था.
समाजवादी पार्टी की बात करें तो सपा ने इस बार राकेश बाबू एडवोकेट को अपना प्रत्याशी बनाया है. आपको बता दें कि राकेश बाबू एडवोकेट तीन बार इस सीट से बसपा के चुनाव चिन्ह पर लड़े और विधायक चुने गए. इस बार सपा ने दलित वोट को अपनी तरफ करने के लिए राकेश बाबू को अपना प्रत्याशी बना दिया है.
वहीं अगर बसपा की बात की जाए तो बसपा ने यहां से अमर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. अमर सिंह नारखी क्षेत्र के रहने वाले हैं और रिटायर्ड एसडीएम हैं.
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा चुनाव में 40% सीटें महिलाओं को देने का वादा किया था. जिसके बाद टूंडला विधानसभा पर कांग्रेस ने युवा एवं महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेश दिवाकर पर अपना भरोसा जताया है और उन्हें मैदान में उतारा है.
रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा