Jharkhand News: झारखंड के बोकारो स्टील प्लांट में लंबे अरसे से मान्यता प्राप्त यूनियन के चुनाव की डिमांड की जा रही है. अब बीएसएल में मान्यता प्राप्त यूनियन का चुनाव होगा. केंद्रीय श्रमायुक्त ने बीएसएल के डीजीएम-पर्सनल आइआर को पत्र लिखकर कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी है. श्रमायुक्त के पत्र से चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ गयी है. बीएसएल में मान्यता प्राप्त यूनियन चुनाव की प्रक्रिया अब शुरू होने जा रही है. मुख्य श्रमायुक्त ने प्रबंधन से पूछा है कि बोकारो में कितनी यूनियनें हैं. किसको मान्यता है. सभी के नाम, कितने रजिस्टर्ड हैं, कौन किससे संबद्ध है.
अब तक मेंबरशिप की पर्ची से ही यूनियन की मान्यता तय होती थी. इस पर अब रोक लग जायेगी. कर्मियों को अपनी पसंद का यूनियन चुनने का अधिकार मिलेगा. धनबाद के डिप्टी चीफ लेबर कमीशनर (सेंट्रल) को पत्र लिखकर सभी पहलुओं का जवाब मांगा गया है. बैलेट पेपर के माध्यम से चुनाव कराने संबंधी सवाल भी पूछे गये हैं. यूनियनों की संख्या और उनके रजिस्ट्रेशन का नंबर मांगा गया है. साथ ही सभी यूनियनों के अध्यक्ष, महासचिव का नाम और स्थायी पता तक मांगा गया है. इसका जवाब धनबाद के डिप्टी श्रमायुक्त को भेजना है.
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बोकारो स्टील प्लांट में यूनियन चुनाव के लिए पिछले दिनों बीएमएस-बोकारो की ओर से मुख्य श्रमायुक्त को पत्र लिखा गया था. इसी पत्र को संज्ञान में लेकर मुख्य श्रमायुक्त दिल्ली ने संबंधित पक्षों से पत्र व्यवहार शुरू कर दिया है. डिप्टी चीफ लेबर कमीशनर-सेंट्रल डॉ आरजी मीना की ओर से जारी चिट्ठी में कहा गया है कि यूनियन व प्रबंधन के बीच के मामले का अध्ययन किया गया है. इस पत्र को जारी करने के साथ ही 15 दिन के भीतर जवाब तलब किया गया है. बोकारो प्रबंधन, यूनियन व रजिस्ट्रार ऑफ ट्रेड यूनियन को अपना-अपना पक्ष रखना है.
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ट्रेड यूनियन एक्ट के तहत किस यूनियन के पास कितनी मेंबरशिप है, उसका भी ब्यौरा पेश करना है. अगर, बोकारो में कोई मान्यता प्राप्त यूनियन है तो वह कब से है और किस प्रावधान से है? बोकारो प्लांट में कितने कर्मचारी हैं और वोटर लिस्ट में कितनों का नाम है? बोकारो की सभी यूनियनों के संविधान की छाया प्रति मांगी गयी है. उन यूनियनों पर भी निशाना साधा गया है, जिन्होंने नियम-कानून का उल्लंघन किया है.
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मुख्य श्रमायुक्त की चिट्ठी के बाद बीएसएल में यूनियनों में सक्रियता बढ़ गयी है. ट्रेड यूनियन से जुड़े कर्मचारियों ने अपना-अपना पक्षा रखना भी शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया पर कर्मी प्रबंधन को घेर रहे हैं. एक कर्मी ने लिखा कि पांच दिसंबर 2019 तक मात्र तीन यूनियन ही बीएसएल में रजिस्टर्ड थे. तीन यूनियनों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही थी. शेष 20 यूनियन न तो निबंधित थे और न ही प्रक्रिया में थे. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यूनियन निबंधित नहीं थे, तब उनको कार्यालय खोलने के लिए क्वाटर्र आवंटित कैसे कर दिया गया ?
रिपोर्ट: सुनील तिवारी