हरियाणा सरकार: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा के निवासियों को प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसदी आरक्षण(Reservation) देने के मामले में हाईकोर्ट की ओर से लगाई रोक को खारिज कर दिया है. सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से अब हरियाणा के लोगों को प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसदी आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है. हाईकोर्ट ने पिछले तीन फरवरी को हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के उस कानून पर रोक लगा दी थी, जिसमें राज्य के लोगों को प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है.
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने हरियाणा सरकार को नियोक्ताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश भी दिया. इसके साथ ही, अदालत ने हाईकोर्ट को चार सप्ताह के अंदर फैसला लेने का अनुरोध भी किया है. बेंच ने कहा कि हरियाणा को नियोक्ताओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया जाता है. हमारा मामले के गुण-दोष से निपटने का इरादा नहीं है और हम हाईकोर्ट से शीघ्र और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का अनुरोध करते हैं.
सर्वोच्च अदालत ने आगे कहा कि इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को पक्षकारों को स्थगन का अनुरोध नहीं करने और सुनवाई की तारीख तय करने के लिए अदालत के सामने मौजूद रहने का निर्देश दिया जाता है. हाईकोर्ट के जिस आदेश को चुनौती दी गई है, उसे खारिज किया जाता है, क्योंकि अदालत ने विधेयक पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए.
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बताते चलें कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में राज्य के निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार के कानून पर तीन फरवरी को अंतरिम रोक लगा दी थी. इस फैसले को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुड़गांव सहित हरियाणा की कई अन्य संस्थाओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक का आदेश दिया था.