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डिस्को डांसर के निर्देशक बी सुभाष ने कहा बप्पी दा को मिलना चाहिए था पद्मश्री, उनके साथ हुई है नाइंसाफी

संगीतकार और गायक बप्पी लाहिरी को डिस्को किंग की उपाधि मिली थी.इस फ़िल्म के निर्देशक बी सुभाष डिस्को किंग बप्पी लाहिरी से जुड़ी खास यादों को उर्मिला कोरी के साझा की.

40 साल पहले यानी सन 1982 में रिलीज हुई फ़िल्म डिस्को डांसर ने कई मायनों में हिंदी सिनेमा के लिए नया इतिहास लिख दिया था.आई एम ए डिस्को डांसर’, ‘जिम्मी-जिम्मी’, ‘कोई यहां नाचे-नाचे’, ‘गोरों की ना कालों की’ जैसे गानों ने भारत ही नहीं बल्कि रशिया, जापान,चीन के लोगों को भी थिरकने पर मजबूर कर दिया था.इस फ़िल्म से ही संगीतकार और गायक बप्पी लाहिरी को डिस्को किंग की उपाधि मिली थी.इस फ़िल्म के निर्देशक बी सुभाष डिस्को किंग बप्पी लाहिरी से जुड़ी खास यादों को उर्मिला कोरी के साझा की.बातचीत के प्रमुख अंश…

45 सालों का था साथ

मेरी ज़िंदगी और मेरे करियर का बप्पी दा बहुत अहम हिस्सा रहे हैं.1978 से हमने साथ काम करना शुरू किया था.45 सालों की हमारी साथ में जर्नी रही है.तकदीर का बादशाह पहली फ़िल्म हमने साथ में की थी फिर डिस्को डांसर,टार्जन,आंधी तूफान,कमांडो,डांस डांस,लव लव एक के बाद एक फ़िल्म करते गए.ज़िन्दगी एक साथ गुजरी है.ये कहूंगा तो गलत ना होगा.डिस्को का जो टाइम उन्होंनेबॉलीवुड म्यूजिक में लाया था.वो हमेशा यादगार रहेगा. कोरोना के आने बाद मिलना जुलना कम हो गया था .उन्हें बोलने में भी परेशानी होती थी.

डिस्को डांसर के बाद हर फिल्म में एक डिस्को नंबर का ट्रेंड बन गया

डिस्को डांसर फ़िल्म बनी उस वक़्त मेंरे अच्छे हालात नहीं थे.मैं नया नया डायरेक्टर था.चार पांच हज़ार महीने के मिलते थे.डिस्को डांसर फ़िल्म का मैं राइटर,प्रोड्यूसर और डायरेक्टर था. डिस्को डांसर से मैं प्रोड्यूसर बना था.जब कोई नया प्रोड्यूसर आता हो लेकिन उसका कोई बैकग्राउंड ना हो.पैसा ना हो तो आसान नहीं होता है. मैं म्यूजिक के साथ कभी समझौता नहीं करना चाहता था.उस वक़्त डिस्को एक नया ट्रेंड वेस्ट से आ रहा था लेकिन उसको एडॉप्ट करने के लिए बहुत प्रतिभा चाहिए होती है. मुझे लगा कि इसी ट्रेंड में फ़िल्म बनानी चाहिए और बप्पी दा ने इसके साथ पूरा न्याय किया. इंडियन मेलोडी को उन्होंने बखूबी डिस्को से जोड़ा. डिस्को गाने का कल्चर बॉलीवुड मे बप्पी दा ही लेकर आए.डिस्को डांस के बाद हर फिल्म में एक डिस्को नंबर रखा जाता था. जब फ़िल्म बन रही थी तो मेरे हालात अच्छे नहीं थे लेकिन बप्पी दा सहित फ़िल्म से जुड़े किसी भी लोग ने मुझे कभी तंग नहीं किया कि अभी पैसे चाहिए.सामने से कभी मांगा भी नहीं लेकिन हां मेरा रिकॉर्ड है मैंने सबको पैसे दिए .

याद आ रहा है गाने से इस तरह बप्पी दा की आवाज़ जुड़ी

डिस्को डांसर का गीत याद आ रहा है तेरा प्यार.वो एच एम स्टूडियो में रिकॉर्ड होने वाला था.ये स्टूडियो कफ परेड में था.उस वक़्त दो ही ट्रैक होते थे म्यूजिक ट्रैक और साउंड ट्रैक.वो गाना किशोर दा गाने वाले थे.किशोर दा जुहू से कफ परेड पहुंचे लेकिन उस दिन बिल्डिंग की लिफ्ट खराब हो गयी थी.वो स्टूडियो तीसरे माले पर था और किशोर कुमार को हार्ट की परेशानी थी.उन्होंने मुझे और बप्पी दा को नीचे बुलाया.उन्होंने कहा कि मैं सीढियां तो चढ़ नहीं पाऊंगा.तुम लोग गाना रिकॉर्ड कर लो.एक दो दिन में मैं इसको डब कर दूंगा.जब सीढियां ठीक हो जाएंगी. बप्पी दा ने स्क्रेच गाया .इस कमाल का गाया कि मुझे बहुत पसंद आया.मैंने कहा कि इसे ही फ़िल्म में रखते हैं एक बार किशोर दा से आप बात कर लो.बप्पी दा ने किशोर दा को सारी बात बतायी.किशोर के लिए बप्पी एक बच्चे की तरह थे और वो मुझे भी बहुत मानते थे फ़िल्म के लिए वो बेस्ट चाहते थे उन्होंने कहा कि गाना भेजो.सुनकर बताता हूं.उन्होंने सुना और कहा कि यही गाना फ़िल्म में रखो.मुझसे डब करवाने की ज़रूरत नही है. याद आ रहा हिंदी फिल्मों के बेस्ट गानों में से एक माना जाता है . जैकी श्रॉफ मुझे जब भी फोन करते हैं तो हेल्लो नहीं बोलते हैं बल्कि बोलते हैं याद आ रहा तेरा प्यार

कुछ घंटों में ये सुपरहिट गाना बना दिया था

फ़िल्म डिस्को डांसर में एक गाना था ये वो आ जरा मुड़के मिला आंखें.उस गाने से पहले बप्पी दा ने एक और गाना उसकी जगह सेलेक्ट किया था.अगले दिन हमारी रिकॉर्डिंग थी.रात के दस बजे हमारी म्यूजिक की सिटिंग थी.बप्पी दा ने मुझे गाना सुनाया. मैंने कहा बप्पी दा मुझे अच्छा नहीं लग रहा. मैंने कहा कि चेंज कर दीजिए लेकिन कल ही रिकॉर्डिंग है क्या हो पाएगा.उन्होंने कहा हो जाएगा.रात 11 बजे गीतकार अंजान साहब को बुलाया गया कि दुबारा गाना लिखना है. बप्पी दा ने रात के दो बजे तक ये ओ आ जरा मुड़के मिला आंखें गाना बना दिया था.बप्पी दा को म्यूजिक की बहुत समझ थी बस आप उन्हें आइडियाज दीजिए कि क्या चाहिए.वो कर लेते थे

साउंड इंजीनियर भी कमाल के थे

वो बहुत ही कमाल के सिंगर थे.उनकी पिच बहुत हाई थी.कंपोजर में वे बेस्ट कम्पोजर थे और वो कमाल के साउंड इंजीनियर भी थे.गाने को कैसे उभारना पड़ता है उन्हें अच्छे से मालूम था. हमारी फ़िल्म डिस्को डांसर का गाना था जिमी जिमी आजा .उस वक़्त पार्वती खान नयी थी.उन्होंने ये गाना गाया था.मेहबूब स्टूडियो में रिकॉर्डिंग थी . सुनने के बाद मैंने कहा कि फील नहीं आ रहा है तो वो रिकॉर्डिंग मशीन पर बैठे और उन्होंने डबल वॉइस का इफेक्ट्स दिया.वो गाना उन्होंने ऐसा बनाया कि पूरी दुनिया में आज भी बजता है. वो गाना पूरा उनका कमाल था. म्यूजिक के हर पहलू की जानकारी थी.

मिथुन को भी बुलाते थे म्यूजिक सीटिंग्स में

मिथुन दा ,मेरी और बप्पी दा की तिगड़ी बहुत मशहूर थी. कई बार बप्पी दा मिथुन दा को म्यूजिक सीटिंग में बुला लेते थे.बंगाली होने का जबरदस्त कनेक्शन उनके बीच था ही. इसके साथ मिथुन दा को डांस करना होता था तो म्यूजिक सीटिंग्स में उनका भी योगदान होता था. बातें होती थी कि हम म्यूजिक बना लें लेकिन आखिर में परदे पर हीरो को ही उसे एक्सप्रेस करना होता है. म्यूजिक को तुम्हे एक्सप्रेस करना होगा सिर्फ डांस ही नहीं बल्कि पूरे परफॉर्मेंस के ज़रिए और वही मिथुन दा कर भी देते थे.

नए सिंगर्स को मौका देने में था यकीन

बप्पी दा और मैंने अपनी फिल्मों के लिए 70 से 80 गाने किए होंगे. लेजेंडरी सिंगर्स के साथ साथ वह युवाओं को भी बहुत मौका देते थे ताकि वैरायटी आ सके. कई नए नए सिंगर्स को उन्होंनेइंडस्ट्री से रूबरू करवाया था. आइ एम डिस्को डांसर के गायक विजय बेनेडिक्ट को उन्होंने ही पहला मौका दिया था और बहुत अच्छा काम लिया.पार्वती खान भी नयी थी. जिमी जिमी गाकर वो सुपरहिट हुई थी. अलीशा चिनॉय को बप्पी दा ने मेरी फिल्म टार्जन फ़िल्म में वो टार्जन गाने मौका दिया था. सलमा आगा की आवाज़ के साथ उन्होंने मॉडर्न ट्विस्ट का एक्सपेरिमेंट भी किया था.उनसे झूम झूम बाबा गवाया था.

किसी को ना नहीं बोलते थे

बप्पी दा सभी निर्माताओं के साथ उनका बहुत अच्छा रिश्ता था.एक दिन उन्होंने पांच रिकॉर्डिंग फिक्स कर दी थी. एक और प्रोड्यूसर आया उन्होंने कहा कि सर मेरी शूटिंग है.मेरा गाना कर दीजिए तो उन्होंने उसका गाना भी ले लिया था और एक दिन में छह रिकॉर्डिंग की ताकि किसी का नुकसान ना हो. उनकी ये खासियत ही थे जो 50 सालों तक वे इंडस्ट्री में बरकरार रहें और सभी का उनको प्यार मिला.

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रिकॉर्डिंग के दौरान सिर्फ बिस्किट खाते थे

बप्पी दा हमउम्र थे तो हमारी दोस्ती गहरी थी.तीन से चार सालों का ही उम्र में फासला था.हमारी फैमिली तो साथ में यूरोप और लंदन भी घूमकर आए थे.घर जैसी फीलिंग थी.स्वभाव से बहुत प्यारे थे.कभी गुस्सा नहीं होते थे.हमेशा हंसते रहते थे.सोना पहनने का उनको बहुत शौक था. हमेशा ड्रेस अप होकर रहते थे.बप्पी दा अल्कोहल नहीं लेते थे.हम उनसे एक पैग पीने के लिए कहते थे तो भी वो नहीं पीते थे.हां स्मोकिंग करते थे थोड़ी बहुत.रिकॉर्डिंग के दौरान वे खाना नहीं खाते थे चाहे रिकॉर्डिंग कितने भी घंटे चले.रिकॉर्डिंग में सिर्फ बिस्किट खाते थे.वो अपना बिस्कुट का पैकेट लाते थे और वही खाते थे.

बप्पी दा को पद्मश्री मिलना चाहिए

भारतीय सरकार को बप्पी दा के संगीत में उनके योगदान के लिए उन्हें पदम श्री तो देना ही चाहिए था. संगीत से जुड़े युवा चेहरों को आजकल पद्म श्री सम्मान मिल जाता है तो उन जैसे लीजेंड को क्यों नहीं. सरकार को उनकी मृत्यु के बाद ही सही उनको ये सम्मान देकर अपनी गलती सुधारनी चाहिए.वह इसके पूरी तरह से हकदार हैं .उनके परिवार वालों को भी अच्छा लगेगा.

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