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Exclusive: माइकल जैक्सन भी बप्पी दा के साथ करना चाहते थे काम…दिग्गज संगीतकार ने खुद किया था खुलासा

संगीतकार और गायक बप्पी लाहिरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. इंडस्ट्री में अपने पचास साल पूरे कर चुके बप्पी लाहिरी का योगदान हिंदी फिल्म और संगीत में बहुत खास रहा है.

भारतीय गीत संगीत में डिस्को किंग के नाम से मशहूर संगीतकार और गायक बप्पी लाहिरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. इंडस्ट्री में अपने 50 साल पूरे कर चुके बप्पी लाहिरी का योगदान हिंदी फिल्म और संगीत में बहुत खास रहा है. उनके रॉक और डिस्को संगीत का बॉलीवुड के संगीत में एक नया इतिहास बनाया है. संगीतकार और गायक बप्पी लाहिरी से हुई कई मुलाकातों में उन्होंने अपनी जर्नी अपने अनुभवों को साझा किया है. उनसे आखिरी मुलाकात 25 दिसंबर 2021 को उनके आवास पर थी. अस्वस्थ होने के बावजूद वे पूरी आत्मीयता से मिले थे. उन्होंने उस दौरान सरस्वती पूजा पर भी घर पर आने को कहा था. हालांकि, उनके खराब स्वास्थ्य की वजह से यह संभव नहीं हो पाया. पढ़िए, उर्मिला कोरी से हुई उन खास बातचीतों के खास अंश…

परवीन बॉबी ने नासिर हुसैन से मिलने को कहा था

इंडस्ट्री में 50 साल हो गए मुझे ये सोचकर मैं हैरान रह जाता हूं. मैंने इंडस्ट्री में 50 साल बिता लिये हैं. 19 साल की उम्र में मैं मुंबई आया था. बांग्ला फिल्मों में संगीत देने से मैंने अपना करियर शुरू किया था. अजित गांगुली की बांग्ला फिल्म अधूरी छोड़ दी थी. मेरा एग्जाम चल रहा था. फिर मेरे माता पिता ने पूछा कि तुम्हें जिंदगी में क्या करना है. ये मैं हमेशा जानता था कि मुझे मुंबई आना है. मैंने अपने मां-बाबा को बताया और फिर हम मुंबई आ गए. मेरी पहली फिल्म थी नन्हा शिकारी, लेकिन जब तक फिल्म सक्सेस न हो, बात नहीं बनती है . फिर ‘चरित्र’ फिल्म आई थी. वह भी सफल नहीं हुई. परबीन बॉबी ने मुझे नासिर हुसैन से मिलने को कहा. वो ज्यादातर आरडी बर्मन के साथ काम करते थे, लेकिन मेरे कंपोजिशन को सुन उन्होंने मुझे मौका दिया. वह मेरी जिंदगी में सांता क्लोज की तरह आए. उन्होंने मुझे साइन किया जख्मी के लिए. उस फिल्म के सारे गाने हिट हुए और फिल्म भी. ‘जलता है जिया मेरी भीगी भीगी रातों में’, ‘आओ तुम्हें चंद पे ले जाऊं’. उसके बाद आयी फिल्म ‘चलते-चलते’ और उसका गाना ‘चलते चलते’ आज भी लोग याद करते है. किशोर मामा जब वो गाना गा रहे थे ‘बीच राह में… हम लौट आयेंगे, तुम यूं ही बुलाते रहना’ तो वो रोने लगे थे. किशोर मामा गाना रिकॉर्ड करने के बाद बोले सदाबहार ये गीत है. जब तक धरती रहेगा ये गाना रहेगा. मैं ये गाना हर कंसर्ट में गाता हूं. मुझे जब फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट एवार्ड मिला था. किशोर मामा का खंडवा में जो समाधि है, वहां भी यही गाना लिखा हुआ है. इसके बाद ‘आपकी खातिर’ फिल्म आई. फिल्म का गाना ‘मुंबई से आया मेरा दोस्त’ काफी हिट हुआ. फिर फिल्म ‘पापी’ आयी. उसके भी सारे गाने हिट. तीन फिल्म लगातार सफल उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर देखा.

मेरे गानों को पॉपुलर करने में मिथुन के डांस का भी योगदान है

70 के दशक में मैंने ज्यादातर साफ्ट रोमांटिक गीत ही बनाए थे. महेश भट्ट की फिल्म ‘लहू’ के दो रंग के गाने भी बहुत सफल हुए थे. 80 का दशक डिस्को मेनिया था. फिल्म ‘सुरक्षा’ के गीत मौसम है से सिलसिला शुरू हुआ था. जो डिस्को डांसर, डांस ही डांस, कमांडो जैसी फिल्मों से चलता रहा. मैं अकेले अपने सक्सेसफुल डिस्को गीतों को क्रेडिट नहीं लूंगा. अगर मिथुन चक्रवर्ती मेरे डिस्को गीतों पर डांस नहीं किया होता, तो मेरा गाना इतना पॉपुलर नहीं होता. उनकी बॉडी में ही डांस था. वो म्यूजिक सेशन में भी आते थे. उनमें काम को लेकर बहुत बहुत ललक थी. ‘जिमी जिमी’ गाना तो न जाने कितनी भाषाओं में डब हुआ है. 90 के दशक तक मेरा डिस्को गीत हिट था. ‘तम्मा तम्मा’ आज की बद्रीनाथ में इस्तेमाल होता है. कलियों का चमन तो रिमिक्स ही नहीं बल्कि कई दूसरे भाषाओं में डब हो चुका है.

लता दीदी के साथ रोमांटिक गीत गा नहीं पा रहा था

लता दीदी के गोद में खेला हूं. मैं जब चार साल का था तक उन्होंने मुझे आर्शीवाद दिया था. सोचिए कि मैं उनके साथ रोमांटिक गाना गा रहा हूं. कितनी बड़ी बात थी, मैं गा ही नहीं पा रहा था. ‘सुरक्षा’ फिल्म थी लेकिन उन्होंने कहा कि सब भूल जा. संगीत संगीत होता है. तू अभी सोच कि तुम अपने लवर के साथ हो. वहां कैसे गाते. वो सोच कर गाओ. इसके बाद मेरी झिझक खत्म हुई और गाना पूरा हुआ.

माइकल जैक्शन ने कहा था साथ काम करेंगे

माइकल जैक्शन जब इंडिया आये थे अपने कॉसंर्ट के लिए. बाल ठाकरे के घर पर मैं उनसे मिला था. जब उन्होंने मेरे साथ हाथ मिलाया तो एक अलग ही एनर्जी का अहसास हुआ. माइकल जैक्शन ने कहा था कि डिस्को डांसर और जिमी जिमी सांग को मैं जानता हूं. उन्होंने कहा था कि हम कभी न कभी तुम्हारे साथ काम जरूर करेंगे, लेकिन इससे पहले ही वह चले गए दुनिया से. ये दु:ख की बात है.

किशोर मामा की खास यादें

मेरे माता-पिता और मां सरस्वती के बाद मैं किसी को मानता हूं तो उन्हें ही मानता हूं. उनकी लास्ट फिल्म भी मेरे साथ ही थी. फिल्म थी ‘वक़्त की आवाज’. उन्होंने उस दिन छह बजे तक मेरे साथ गाना रिकॉर्ड किया था. महबूब स्टूडियों में थे हमलोग. सोफे पर बैठे हुए थे. मैं टेंशन में था कि कब गाना होगा पूरा. उन्होंने कहा कि अरे शांति से बैठ, हो जाएगा, टेंशन नहीं लेने का. फिर अचानक उनको दर्द उठा. मैंने पूछा क्या हुआ आपको.. किशोर मामा ने बोला मुझे लग रहा है कि मुझे गैस हो गया है. तो मैंने उनको बोला कि छोड़ दें, बाद में रिकोर्ड कर लेंगे. लेकिन वो माने नहीं. उन्होंने कहा, नहीं रिकोर्डिंग करके ही जाऊंगा. थोड़ी देर में वो ठीक हो गए. उन्होंने गाने की रिकॉडिंग के साथ-साथ एक बातचीत भी रिकॉर्ड की. उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि मैं नहीं रहूंगा तो याद करोगे कि किशोर कुमार कितना हंसाया करता और अचानक ये बोलने के बाद वो लुंगी बांधे और निकल गए रिकॉर्डिंग करने के लिए. फिर हमलोग अगला गाना रिकॉर्ड किए. उनको लुंगी-कुर्ता पहनना, रोलेक्स घड़ी पहनना पसंद था. एक ब्लैक अंगूठी भी पहनते थे. निकलते-निकलते उन्होंने मुझे पूछा था कि मुझे कल तो गाना नहीं है न. मैंने कहा नहीं, तो उन्होंने कहा कि चलो ठीक है मैं कल आराम करूंगा. परसों आऊंगा. लेकिन अगले ही दिन खबर आई कि अब वह नहीं रहे. मैं जब उनकी मृत्यु के बाद उनके घर गया. तो वहां बैठ नहीं पाया. लगा कि बाप रे अब वो नहीं रहे. वक्त की आवाज में छह गीत थे, जो किशोर कुमार को गाने थे. लेकिन वह तीन ही गा पाए. बाकी के तीन सुदेश वाडेकर ने गाये थे. उन्हें लूची और आलू सब्जी मेरे मां के हाथों के बने बहुत पसंद थे. जब भी घर आते थे. वही डिमांड करते थे. मेरे घर पर आज भी वह गद्दा है जहां पर हम बैठकर म्यूजिक सेशन किया करते थे. लगाव ही था जो मैंने अब तक वह गद्दा हटाया नहीं है. मेरे करियर में मामा का सपोर्ट है. मैं मानता हूं, लेकिन वह यूं ही किसी से इम्प्रेस नहीं हो जाते थे. ऐसा नहीं था कि बस परिवार का है तो अहमियत दे दो. वो कड़ी परीक्षा लेते थे फिर आगे बढ़ाते थे. मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा.

किशोर मामा की जगह मैंने गा दिया

बी सुभाष´ की फिल्म डिस्को डांसर में विजय बेंडिक्ट, किशोर कुमार और सुरेश वाडेकर ने अपनी गीतों से सजाया था. फिल्म के लोकप्रिय गीत ‘याद आ रहा’ को मैंने गाया था, लेकिन मैं गाना नहीं चाहता था. किशोर कुमार ये गाना गाने वाले थे. किशोर कुमार उस वक्त लंदन से मुंबई आ रहे थे. मुंबई में स्टूडियो था एचएमबी का. म्यूजिशियन बैठा है कि मामा आएंगे और हम ये गाना रिकॉर्ड करेंगे. किशोर मामा की फ्लाइट डिले हो गयी, तब बी सुभाष जी ने कहा, तुम गा दो. मैंने गा दिया. किशोर मामा देर शाम को पहुंचे. सुभाष जी ने कहा कि किशोर आप डब कर दो. तो मामा ने कहा कि अरे आप पागल हैं क्या? ये गाना बप्पी ने दिल से गाया है. क्या अच्छा गाया है. फिर उन्होंने कहा कि ये गाना तेरा सिग्नेचर स्टैंप बनेगा. देखना और वैसा ही हुआ. वह गाना बहुत लोकप्रिय हुआ.

अस्वस्थता के बावजूद म्यूजिक में थे सक्रिय

आखिरी मुलाकात में बप्पी दा ने अपने आनेवाले प्रोजेक्ट्स के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि वे अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता की एक फ़िल्म में संगीत दे रहे हैं. इसके अलावा, अमिताभ बच्चन स्टारर एक हिंदी फ़िल्म के लिए भी बात चल रही है. उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि वो इंडस्ट्री में एक फ़िल्म में 4 से 5 संगीतकारों को जुड़ने को सही नहीं मानते हैं. उन्हें लगता है कि ऐसे ना फ़िल्म के साथ और ना ही संगीतकारों के साथ न्याय हो पाता है.

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