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बिहार में अपराधियों को पकड़ना होगा आसान, आपस में ऑनलाइन जोड़े जा रहे सभी थाने, जानें फायदे…

बिहार के सभी थाने मार्च तक आपस में ऑनलाइन माध्यम से जुड़ जाएंगे. जिसके बाद केस की छानबीन और अपराधियों को पकड़ने में पुलिस को और अधिक मदद मिलेगी.

बिहार के सभी थानों को ऑनलाइन करने और आपस में जोड़ने की मुहिम तेजी से चल रही है. इसके लिए खासतौर से पुलिस महकमा में लागू किये जा रहे सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम) प्रणाली के अंतर्गत अब तक राज्य के 894 थाने जुड़ चुके हैं. अब तक सभी प्रमुख थाने इसमें शामिल हो गये हैं, जबकि 202 थानों को अगले महीने मार्च के अंत तक इस प्रणाली से जोड़ दिया जायेगा.

राज्य के सभी थाने आपस में जुड़ेंगे

गृह विभाग के स्तर पर इसके लिए समुचित मॉनीटरिंग की जा रही है. बचे हुए प्रति थाने के लिए दो-दो कंप्यूटर, यूपीएस, प्रिंटर, डिजिटल कैमरा, टेबुल-कुर्सी समेत अन्य सभी जरूरी सामान की खरीद की जा रही है, ताकि सीसीटीएनएस प्रणाली से निर्धारित समय में राज्य के सभी एक हजार 96 थानों को जोड़ा जा सके.

एफआइआर और चार्जशीट अपलोड किये जा रहे

अब तक इस प्रणाली के तहत चार लाख पुरानी और 3.31 लाख के आसपास नयी एफआइआर की इंट्री हो चुकी है. इसके अलावा एक करोड़ एक लाख स्टेशन डायरी और 38 हजार से ज्यादा चार्जशीट अपलोड की जा चुकी है.

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आरोपितों के बारे में भी जानकारी अपलोड

सीसीटीएनएस पर अब तक अलग-अलग मामलों में 55 हजार से ज्यादा गिरफ्तार किये गये आरोपितों के बारे में भी जानकारी अपलोड की जा चुकी है. इसकी मदद से सभी थाने आपस में ऐसे किसी अपराधी की जानकारी तुरंत साझा कर सकते हैं.

छानबीन एवं भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में मददगार

सभी थानों के आपस में जुड़ने से केस की छानबीन एवं भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में काफी सहायता मिलती है, परंतु मौजूदा तैयारी के आधार पर पुलिस की सभी प्रणाली को फिलहाल इस प्रणाली के भरोसे नहीं चलाया जा सकता है. इसकी मुख्य वजह अब तक सिर्फ दो साल का ही पूरा रिकॉर्ड अपलोड होना है.

पुरानी केस डायरी और चार्जशीट अपलोड करना बड़ी चुनौती

सीसीटीएनएस प्रणाली की मदद से थाना स्तर पर सभी पुलिसिंग के कार्य को अंजाम नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इसमें पुराना सभी रिकॉर्ड अब तक दर्ज या अपलोड नहीं हो पाया है. अब तक दो वर्षों का ही रिकॉर्ड इस पर है, जबकि कम- से -कम इसकी बदौलत सिस्टम को सही तरीके से चलाने के लिए 10 साल का पूरा रिकॉर्ड चाहिए. काफी बड़ी संख्या में चार्जशीट और स्टेशन डायरी के कागजात होने के कारण इन्हें स्कैन करके अपलोड करने में समय लग रहा है. प्राप्त सूचना के अनुसार इस काम को करने में करीब एक वर्ष का समय लगेगा. इसके बाद ही सीसीटीएनएस के भरोसे राज्य की पूरी पुलिसिंग ऑनलाइन मोड में चल सकेगी.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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