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UP Election 2022: बीजेपी, सपा, कांग्रेस को वोट न देकर बसपा को करे वोट, मायावती ने औरैया में भरी हुंकार

यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चुकी है. जिसको लेकर आज मायावती आज औरैया पहुंची. इस दौरान मायावती ने जमकर कांग्रेस और सपा पर हमला बोला.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की जनसभा के लिए मायावती आज औरैया पहुंची. इस दौरान मायावती ने जमकर कांग्रेस और सपा पर हमला बोला. मायावती ने कहा कि बीजेपी, सपा, कांग्रेस को वोट न देकर बसपा को वोट दे.

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शुरू में केंद्र और राज्य में कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन उनकी गलतनीतियों और गलत कार्यप्रणाली के कारण ही वह केंद्र ही नहीं उत्तर प्रदेश की सत्ता से भी बाहर हो चुकी है. कांग्रेस पार्टी जबरदस्त जातिवाद की पार्टी होने के कारण बाहर हुई है. यहां खासकर दलित, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग की विरोधी पार्टी रही है और अभी भी है.

मायावती ने मान्यवर काशीराम के देहांत पर भी कांग्रेस पर सवाल खड़ा किया है. मायावती ने उनके देहात पर आदर्श और सम्मान के लिये एक भी दिन का राष्ट्रीय शोक न होने पर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग की आरक्षण संबंधी मंडल कमीशन की रिपोर्ट को भी न लागू किया था, जिसे सिर्फ बसपा ने अपने कड़े संघर्ष से केंद्र में रही बीपी सिंह की सरकार से लागू कराया था. साथ ही इसी सरकार में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को भी भारत रत्न की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन अब केंद्र और अधिकांश राज्यों की सत्ता से जब कांग्रेस बाहर होती है, तो इन्हें पिछड़े समुदाय की याद आती है, जब यह सत्ता में होती है, तब इन्हें दलित, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहता है और इनको महिलाओं की भी भागीदारी याद आती है और न ही इनको किसानों का कब्जा 10 दिनों में माफ करने का वादा ध्यान में रहता है.

इसके साथ ही अन्य वादे भी इनको पूरे करने का याद रहता है, यही हाल अन्य विरोधी पार्टियों का भी देखने को मिल रहा है. इस पार्टी के बाद सपा, भाजपा की बनी सरकार में भी यूपी की जनता अधिकांश मामलों में दुखी रही है. सपा सरकार में ज्यादातर यह गुंडों-बदमाशों, माफियाओं और आराजतत्वो का दंगो फसाद कराने वालों का राज्य रहा है. जिस वजह से ही इस सरकार में हमेशा तनाव की स्थित बनी रही है. प्रदेश में विकास कार्य भी विशेष समुदाय तक सीमित रह गए है.

उन्होंने आगे कहा कि दलितों, पिछड़े वर्ग और संतों के बीच में इनका सोता हुआ रवैया देखने को मिला है. जिसके अनेकों उदहारण है, जिसमे से सपा सरकार में एससी-एसटी का सरकारी संस्थानों में आरक्षण खत्म कर दिया गया था, जिसकी व्यवस्था पहली बार ही बसपा की सरकार में कई गई थी. संसद में सपा ने एससी-एसटी का बिल फाड़ दिया था और उसे पास भी नहीं होने दिया. वहीं पंचशील नगर का नाम बदल कर हापुड़ कर दिया. संत रविदास नगर का भी नाम बदलकर भदोही कर दिया. भीम नगर का नाम बदल का संभल कर दिया. वहीं ऐसे कई जिलों के नाम सपा सरकार ने अपने जातिवाद की मानशिकता के चलते बदल दिए.

रिपोर्ट- आयूष तिवारी, कानपूर

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