घाघरा थाना क्षेत्र के नौनी गांव निवासी विधवा महिला दुलारी देवी ने घाघरा थाना के पदाधिकारियों के विरुद्ध धमकी देने का आरोप लगाते हुए एसपी को आवेदन सौंप कर न्याय की गुहार लगायी है. आवेदन में कहा है कि वर्ष 2016 में सड़क हादसे में उसके पति देवनंदन मांझी की मौत हो चुकी है.
जिसका कांड संख्या घाघरा थाना में दर्ज है. कहा कि पति की सड़क हादसा में मौत के बाद मैंने कोर्ट में मुआवजा हेतु आवेदन दिया था. जिसमें उक्त वाहन के चालक एवं मालिक को विपक्षी बनाया गया है. तथा न्यायालय द्वारा वाद ग्रहण करने के उपरांत विपक्षियों को न्यायालय से नोटिस भेजा गया. न्यायालय के नोटिस प्राप्त करने के उपरांत विपक्षी जो वर्तमान में घाघरा थाना का चौकीदार है.
बराबर मेरे घर पर आकर धमकी देता है कि केस वापस ले लो, नहीं तो पूरे परिवार को झूठा केस में फंसा देंगे. या फिर सबको जान मरवा देंगे. कहता है कि अगर केस वापस नहीं लोगी, तो बुरा अंजाम भुगतना पड़ेगा. जिससे मैं काफी भयभीत हूं. 24 जनवरी को आवेदन सौंपी थी. जिसके बाद सात फरवरी को विपक्षी मनसाय उरांव के पिता सुकरा उरांव जो घाघरा थाना में चौकीदार है.
मेरे घर आया और बोला कि घाघरा थाना के पदाधिकारी पूछताछ करने के लिए थाना बुलाये हैं. जिसके बाद मैं घाघरा थाना गयी. वहां जाने के बाद थाना के पदाधिकारी द्वारा मुझे केस उठाने का दबाव देते हुए कहा कि केस क्यों नहीं उठा रही हो, केस उठाओं नहीं तो तुम्हारा केस खराब कर देंगे. और तुमको मुआवजा का पैसा भी नहीं मिलेगा. उन्होंने धमकी दी कि तुम एसपी को आवेदन दी है. केस उठाओ नहीं, तो अंजाम बुरा होगा. जिस पर विपक्षी के पिता सुकरा उरांव ने भी मुझे थाना में धमकी देने लगा कि तुम केस की है, तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो.
कोई मुआवजा का पैसा तुमको नहीं मिलेगा. अपनी सलामती चाहती हो, तो चुपचाप केस उठा लो. सुकरा उरांव द्वारा मुझे 50 हजार रुपये का प्रलोभन देकर गाली गलौज करते हुए केस उठाने का दबाव दिया जाने लगा. उन्होंने एसपी से कहा कि मैं अपने व अपने सात बच्चे जिसमें पांच नाबालिग हैं व मेरी 75 वर्षीय सास का जीविकोपार्जन बहुत मुश्किल से करती हूं. उन्होंने न्याय की गुहार लगायी है.