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एमपी में जैविक खेती के जरिए कृषि उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि, किसानों की आमदनी के लिए कदम उठा रहे शिवराज

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में तकरीबन 17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैली जैविक खेती के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्पादन लगभग 14 लाख टन रहा है, जो देश में सबसे अधिक है.

भोपाल : जलवायु परिवर्तन के दौरान पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक समुदाय से लगातार पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के उपायों को बढ़ावा देने पर लगातार अपील कर रहे हैं. उनके इस अपील के बीच मध्य प्रदेश में जैविक खेती के जरिए पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देने के लिए अलख जगाया जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर्यावरण संतुलन और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिदिन एक पौधा लगाने का काम करते हैं. किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनके इस प्रयास का ही नतीजा है कि मध्य प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान तकरीबन 17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैली जैविक खेती के माध्यम से उत्पादन लगभग 14 लाख टन रहा है.

जैविक खेती पर पीएम मोदी का जोर

बताते चलें कि विकासशील से विकसित और विकसित से सुपर-पावर देश बनने की होड़ में आज हमने प्रकृति को कितना नुकसान पंहुचा दिया है, जिसका यदि आकलन किया जाए तो यह क्षति शायद ही कभी पूरी की जा सकेगी. प्रकृति को पहुंच रहे नुकसान का ही नतीजा है कि आज पूरा विश्व जल-वायु परिवर्तन के प्रति चिंतित है और एकजुट होकर इस बात पर विचार कर रहा है कि किस तरह से इस क्षति को कम कतरे हुए शून्य तक लाया जा सके. इस प्राकृतिक परिवर्तन के दूरगामी भयावह परिणामों को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने वैश्विक मंच की कमान संभालते हुए ‘जैविक खेती’ के महत्त्व को दुनिया के बीच प्रसारित किया. भारत में किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक करने और उसको अपनाने के संकल्प के साथ केंद्र एवं राज्य सरकारों ने विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन का निर्णय लिया है.

भारत में प्राकृतिक खेती का रहा है चलन

‘सोने की चिड़िया’ के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्द भारत के मध्य प्रदेश में समृद्ध कृषि व्यवस्था है. देश में प्राकृतिक खेती की अवधारणा का चलन अनादिकाल से चला आ रहा है. बिना किसी रसायन और अप्राकृतिक तरीकों को अपनाते हुए भारत के किसान गुणवत्ता वाली फसल तैयार करते रहे हैं, लेकिन आधुनिकता की इस भाग-दौड़ में, एक दूसरे से ज़्यादा अधिक समर्थवान और कुशल दिखने की होड़ में आज यह विरासत का ज्ञान कहीं पीछे छूट गया है. फसलों को गुणवत्ता और जल्द तैयार करने के लिए रसायनों का उपयोग अब आम बात बन गई है. यह भले ही कम समय में जल्दी परिणाम देने वाली युक्ति हो, लेकिन इसके दुष्परिणाम किसानों की आय से लेकर, लोगों के स्वास्थ्य और वातावरण, सभी में देखे जा सकते हैं.

देश में जैविक खेती को अपना रहे हैं कई राज्य

जैविक खेती को भारत में बढ़ावा देने के वर्तमान केंद्र सरकार के संकल्प का ही नतीजा है कि देश के लगभग सभी राज्य इसे अपनाने और किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रभावी ढंग से कार्य कर रहे हैं, लेकिन चिंता का विषय है कि इस मानव जाति के लिए खतरा बनते जा रहे पर्यावरण परिवर्तन की रोकथाम के लिए जैविक खेती को अपनाने में आज भी कई राज्य गंभीरता नहीं दिखा रहे. शायद यह राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी का ही नतीजा है कि क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद भी राजस्थान जैसा वडा राज्य जैविक खेती के प्रति सुस्त है.

जैविक खेती में पहले स्थान पर मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया है. इसी का नतीजा है कि मध्यप्रदेश इस क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर है. इसके अतिरिक्त, मध्यप्रदेश निरंतर कई नवाचारों से जैविक कृषि को प्रोत्साहन देता रहा है. प्रकृति के संरक्षण के प्रति हमेशा से संवेदनशील और गंभीर शिवराज सिंह चौहान प्रतिदिन एक पौधा लगाते है. यह न सिर्फ उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा है, बल्कि प्रकृति के प्रति उनके स्नेह को दिखाता है.

नर्मदा के किनारे रसायनमुक्त खेती का फैसला

हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने गंगा नदी के किनारे जैविक खेती शुरु करने के केंद्रीय बजट प्रस्ताव से प्रेरित होते हुए प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी के किनारे रसायन मुक्त खेती करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर पांच किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती विकसित करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा. इसी दिशा में कार्य करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. इसी का नतीजा है कि मध्यप्रदेश पिछले 6 साल से लगातार ‘जैविक खेती’ के क्षेत्र में पूरे देश में प्रथम स्थान पर बना हुआ है.

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17 लाख हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में तकरीबन 17 लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैली जैविक खेती के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्पादन लगभग 14 लाख टन रहा है, जो देश में सबसे अधिक है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश ने वर्ष 2020-21 में ही पांच लाख टन से अधिक के जैविक उत्पाद निर्यात किए, जिनका मूल्य 2683 करोड़ रुपये से अधिक है, जो लगातार तेजी के साथ बढ़ रही है. मध्यप्रदेश में मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, कटनी, उमरिया, अनूपपुर, उमरिया, दमोह, सागर, आलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, सीहोर, श्योपुर और भोपाल ऐसे ज़िले हैं, जहां सबसे अधिक जैविक खेती की जाती है.

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