देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था के बढ़ने से लाभप्रद परिदृश्य उभर रहा है. डिजिटल अर्थव्यवस्था में कई ऐसे नये रोजगार दिखने लगे हैं, जिनकी पहले कल्पना भी नहीं की गयी थी. मैकेंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था में 2025 तक करीब छह से साढ़े छह करोड़ रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं. हालांकि, इससे करीब चार से साढ़े चार करोड़ परंपरागत नौकरियां समाप्त हो सकती हैं. दुनियाभर में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते कई क्षेत्रों में रोजगार तेजी से खत्म हो रहे हैं. वहीं डिजिटल क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं.
बजट प्रावधानों में डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास किया गया है. डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकों की स्थापना करेंगे. डेढ़ लाख डाकघर कोर बैंकिंग से जुड़ेंगे. साथ ही बैंक से पोस्ट ऑफिस के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर किया जा सकेगा. डाकघर के लिए भी एटीएम सुविधा मुहैया होगी.
मोबाइल सेवाओं के लिए 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी. इससे उपयोगकर्ता अपने 5जी स्मार्टफोन का और बेहतर उपयोग कर सकेंगे. साथ ही हाई-स्पीड नेट सर्फिंग और फास्ट वीडियो स्ट्रीमिंग का लाभ मिलेगा. पीएम ई-विद्या के ‘वन क्लास, वन टीवी चैनल’ कार्यक्रम को 12 से 200 टीवी चैनलों तक बढ़ाया जायेगा. एक डिजिटल यूनिवर्सिटी भी बनायी जायेगी.
खेती-किसानी में ड्रोन इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जायेगा. इससे फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेख, कीटनाशकों के छिड़काव में मदद मिलेगी. भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के साथ किसानों को कृषि संबंधी सेवाएं डिजिटल प्रदान की जायेंगी. सभी केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा उनकी खरीद के लिए एक पूर्ण पेपरलेस एंड-टू-एंड ऑनलाइन ई-बिल प्रणाली शुरू होगी. केंद्र सरकार एंड-टू-एंड बिलिंग पेमेंट सिस्टम बनायेगी. ई-पासपोर्ट व्यवस्था भी आकार लेते हुए दिखायी देगी.
बजट 2022-23 में प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा व्यवस्था भी डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ायेगी. रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) जारी की जायेगी. इससे ऑनलाइन लेनदेन और सुरक्षित बनेगा. डिजिटल रुपये को फिजिकल करेंसी से एक्सचेंज (विनिमय) किया जा सकेगा. अटलांटिक काउंसिल के मुताबिक जनवरी, 2022 तक नौ देशों में डिजिटल मुद्रा जारी हुई है. इस वर्ष भारत में भी डिजिटल मुद्रा के आकार लेने से भारतीय अर्थव्यवस्था को आंतरिक और वैश्विक लेन-देन के लाभ मिल सकेंगे.
भारत में पिछले छह-सात वर्षों में डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है. जन-धन बैंक खातों, आधार के सहारे मिली डिजिटल पहचान तथा डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद आधार हैं. देश में 44 करोड़ से अधिक जन-धन खातों में कोरोनाकाल में धन हस्तांतरण किया गया. कोरोनाकाल में कारोबारी गतिविधियां तेजी से ऑनलाइन हुई हैं.
वर्क फ्रॉम होम और आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिलने से भारत के डिजिटल कारोबार की अहमियत बढ़ी है. अमेरिकी टेक कंपनियों समेत दुनिया की कई कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार में निवेश के लिए आगे बढ़ी हैं.
डिजिटलीकरण, इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या, मोबाइल और डेटा पैकेज दोनों के सस्ता होने से भी डिजिटल कारोबार बढ़ा है. मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रैफिक (एमबीट) इंडेक्स 2021 के मुताबिक डेटा खपत बढ़ने की रफ्तार सबसे अधिक भारत में है. दूरसंचार विभाग के मुताबिक भारत में ब्रॉडबैंड उपयोग करने वालों की संख्या मार्च 2014 के 6.1 करोड़ से बढ़कर जून, 2021 में 79 करोड़ पहुंच चुकी है.
रेडसीर कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2019-20 के मुकाबले डिजिटल भुगतान बाजार 2024-25 तक तीन गुना से भी अधिक स्तर पर पहुंच जाना अनुमानित है. वर्ष 2020 में भारत में 25.5 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए, तो वहीं चीन में 15.6 अरब और यूके में 2.8 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए. अमेरिका में मात्र 1.2 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए.
ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म अलवारेज एंड मार्सल इंडिया और सीआइआइ इंस्टीट्यूट ऑफ लॉजिस्टिक्स की रिपोर्ट 2020 के मुताबिक भारत में ई-कॉमर्स का जो कारोबार 2010 में एक अरब डॉलर से भी कम था, वह वर्ष 2019 में 30 अरब डॉलर पर पहुंच गया और अब 2024 तक 100 अरब डॉलर के पार पहुंच सकता है.
इसमें दो मत नहीं कि विभिन्न प्रोत्साहनों से डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ी है. लेकिन, अभी विभिन्न बाधाओं और चुनौतियों की ओर ध्यान देना होगा. डिजिटल अर्थव्यवस्था की बुनियादी जरूरत कंप्यूटर और इंटरनेट तक अधिकांश लोगों की पहुंच बढ़ानी होगी. वित्तीय लेनदेन के लिए बड़ी संख्या में लोगों को डिजिटल भुगतान तकनीकों से परिचित कराना होगा.
छोटे गांवों में बिजली की पर्याप्त पहुंच और मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड के मामले में भी देश को आगे बढ़ना होगा. देश के कोने-कोने में आम आदमी तक डिजिटल समझ बढ़ाये जाने का अभियान जरूरी होगा. लोगों को स्मार्टफोन खरीदने के लिए बैंक से आसान ऋण दिया जाना आवश्यक है.
पीसीओ की तर्ज पर पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्वाइंट की व्यवस्था सुदृढ़ बनानी होगी. डिजिटल भुगतान के समय होने वाली ऑनलाइन धोखाधड़ी की बढ़ती हुई घटनाओं को नियंत्रित करके लोगों का ऑनलाइन लेनदेन में अधिक विश्वास बनाना होगा. डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत कृषि, शिक्षा, शहरी बुनियादी अधोसंचरना और आपदा प्रबंधन के तंत्र को मजबूत करने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेस(एआई) की भूमिका को प्रभावी बनाना होगा.
हम उम्मीद करें कि अब देश में डिजिटल इंडिया अभियान तेजी से आगे बढ़ेगा और इस दशक में वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में देश की हिस्सेदारी उभरकर दिखायी देगी. साथ ही देश और दुनिया में डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत सृजित हो रहे नये रोजगार और आर्थिक मौके बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं की मुठ्ठियों में आते हुए दिखायी देंगे.