21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यूपी चुनाव 2022: वोटर्स ने सियासी पंडितों को किया कंफ्यूज, बीजेपी-सपा का सीट कैलकुलेशन फॉर्मूला फेल?

पश्चिम उत्तर प्रदेश के पहले चरण में वोटर की मंशा को राजनीति के चाणक्य भांप नहीं पा रहे हैं. शहरी क्षेत्र की कई सीटों पर मतदान से नेताओं की चिंता बढ़ गई है. गाजियाबाद के साहिबाबाद में सबसे कम 45 फीसदी वाेटिंग, जबकि कैराना के लोगों ने 75.12 फीसदी वोटिंग के साथ रिकार्ड बना दिया है.

UP Chunav 2022 Update: यूपी विधान सभा 2022 चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. मतदाता ने किस मूड से मतदान किया है, यह राजनीति के चाणक्यों की समझ से बाहर हो गया है. हिंदू-मुस्लिम, दंगा-फसाद के दांव-पेच का अखाड़ा बनी इन सीटों पर इस बार मतदाताओं ने झूमकर वोट किया है. वहीं कई ऐसी वीआईपी सीट हैं, जहां वोट का प्रतिशत चिंता बढ़ाने वाला है. वोटर के इस मूड को विशेषज्ञ भांप नहीं पा रहे हैं. वोटिंग के इस पैर्टन को सत्ता के खिलाफ माना जा रहा है. कई जीती हुई विधान सभा सीटों पर कम वोटिंग को 2022 चुनाव में खतरे की घंटी भी माना जा रहा है.

ध्रुवीकरण की नहीं दिखी धार, वोटर ने साधा मौन

यूपी में 10 फरवरी को पश्चिम उत्तर प्रदेश की 58 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो गया. यह वही पश्चिम उत्तर प्रदेश है, जहां से 2017 में भाजपा ने अपनी जीत का श्रीगणेश किया था. हालांकि उस दौरान कैराना से पलायन और मुजफ्फर नगर में हुए दंगे के कारण हिंदू वोट का जबरदस्त ध्रुवीकरण हुआ था. लेकिन इस बार पश्चिम उत्तर में पहले चरण में ध्रुवीकरण तो नहीं दिखा लेकिन वोटिंग दलों की चिंता बढ़ाने वाली है. वोटर ने मौन रूप धारण करके ईवीएम का बटन दबा दिया है. अब 10 मार्च को परिणाम आने के बाद ही वोटर की मंशा का पता चलेगा.

Also Read: UP Chunav 2022: 58 विधानसभा सीटों में से 37 पर 60% से ज्यादा वोटिंग, सिर्फ 5 पर मतदान पिछली बार से घटा
कम वोटिंग सत्तारूढ़ दल के लिए खतरे की घंटी! 

पश्चिम उत्तर प्रदेश में कम वोटिंग प्रतिशत को सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है. हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण में जुटे भाजपा नेताओं को कम वोटिंग प्रतिशत कुछ सदमें में जरूर डालेगा. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सभी बड़े नेताओं ने पश्चिम उत्तर प्रदेश को मथ डाला. सभी तरह के दांव-पेंच भी आजमाए. लेकिन पश्चिम उत्तर प्रदेश में वोटिंग का प्रतिशत नहीं बढ़ पाया. अभी यह कहना मुश्किल है कि कम वोटिंग प्रतिशत बीजेपी को कितना संकट में डालेगा. लेकिन यह बात भी सच है जब भी वोट ज्यादा पड़ता है तो उसका फायदा बीजेपी को होता है. जब वोट कम पड़ता है तो विपक्ष मजबूत होता है.

Also Read: UP Chunav 2022 Live Updates: UP में पहले चरण की वोटिंग खत्म, सभी दलों ने किए चुनाव में जीत के दावे
मंत्री सुरेश राणा की सीट पर भी कम वोटिंग

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण के आंकड़ों पर नजर डालें तो शामली जिले की तीन सीटों में से दो पर बीजेपी की इज्जत बची है. लेकिन गन्ना मंत्री सुरेश राणा की सीट थाना भवन में कम वोट पड़ा है. वहां 2017 में 68.31 प्रतिशत वोट पड़ा था. लेकिन 2022 में यह घटकर 65.63 प्रतिशत हो गया है. वहीं कैराना ने 75.12 प्रतिशतर वोटिंग के साथ रिकार्ड बना दिया है. 2017 में यहां 69.53 प्रतिशत वोट पड़ा था. इसी तरह शामली में 2022 में 67.50 प्रतिशत वोट पड़ा. 2017 में यहां कुल 65.42 प्रतिशत ही वोटिंग हो पाई थी.

मेरठ-मुजफ्फर नगर के वोटर भी नहीं निकले बाहर

मेरठ जिले की सात में छह सीटों पर 2017 के मुकाबले कम मतदान हुआ है. सिवालखास में 2022 में 66.50 प्रतिशत वोट पड़ा. जबकि 2017 में यहां 70.85 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसी तरह सरधाना, हस्तिनापुर, किठौर, मेरठ कैंट और मेरठ दक्षिण में भी 2017 के मुकाबले कम वोटिंग हुई. यहां भी कुल वोट का प्रतिशत 2022 में 60.91 रहा. जबकि 2017 में वोटिंग का प्रतिशत 66.64 प्रतिशत था. इसी तरह मुजफ्फर नगर की पांच में से चार सीटों में वोट प्रतिशत गिरा है. सिर्फ बुधाना के वोटरों ने कुछ हद तक इज्जत बचाई है. मुजफ्फर नगर, खटौली, मीरापुर, पुरकाजी में 2017 के मुकाबले वोट प्रतिशत गिरा है.

साहिबाबाद में मात्र 45 प्रतिशत वोटिंग

बागपत जिले की छपरौली, बड़ौत और बागपत में भी मतदान का प्रतिशत कम रहा. 2017 में पूरे जिले में 64.17 प्रतिशत वोट पड़ा था. जबकि 2022 में कुल 61.15 प्रतिशत ही वोटिंग दर्ज की गई है. गाजियाबाद की लोनी, साहिबाद, मुरादनगर, मोदी नगर, गाजियाबाद में भी कम मतदान हुआ. यहां 2017 में 55.80 प्रतिशत वोट पड़ा था. जबकि 2022 में यह 54.77 प्रतिशत ही रह गया है. साहिबाबाद में सबसे कम 45 प्रतिशत ही वोटिंग हुई. जो 58 जिलों में सबसे कम है. इसके अलावा हापुड़ में ढोलाना, हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर में भी मतदान कम रहा. 2017 में हापुड़ के तीनों विधान सभा क्षेत्रों में 66.31 प्रतिशत मतदान हुआ था. लेकिन इस बा 60.50 प्रतिशत ही वोटिंग हुई है.

ऊर्जा मंत्री की सीट पर भी कम हुआ मतदान

मथुरा की छाता, मांट, गोवर्धन, बलदेव में कम वोटिंग हुई. ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के विधानसभा क्षेत्र मथुरा में भी मतदान की स्थिति खराब रही. 2022 में मथुरा में 57.33 फीसदी मतदान हुआ. वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह की विधानसभा सीट नोएडा में कुछ राहत रही है. गौतमबुद्ध नगर की नोएडा सीट में 50.10 प्रतिशत मतदान रहा. 2017 में नोए में 48.55 प्रतिशत मतदान हुआ था. दादरी और जेवर में वोटिंग की स्थिति खराब रही. बुलंदशहर में सात विधान सभा सीटें हैं. सिकंदराबाद, बुलंदशहर, स्याना, अनूप शहर, डिबाई, शिकारपुर, खुर्जा. सभी सीटों पर मतदान का प्रतिशत गिरा है. वहां कुल 60. 49 प्रतिशत मतदान हुआ है. जबकि 2017 में मतदान की स्थिति 64.47 प्रतिशत थी.

पहले चरण के वोटिंग पैटर्न से नेता चिंता में 

पहले चरण की वोटिंग से नेताओं की पेशानी पर बल पड़ गए हैं. अलीगढ़ की सातों विधानसभा सीटों खैर, बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, अलीगढ़, इगलास में भी 2017 के मुकाबले 2022 में वोटिंग कम हुई है. जबकि 2017 में 59.26 प्रतिशत वोट पड़ा था. आगरा की एत्मादपुर, आगरा कैंट, आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, आगरा ग्रामीण, खेरागढ़, फतेहाबाद, बाह में वोटर को प्रत्याशियों के दावे घर से नहीं निकाल पाए. फतेहपुर शीकरी के कारण जिले के अधिकारियों की इज्जत बच पाई है. 2022 में आगरा में 64.73 प्रतिशत मतदान हुआ. जबकि 2017 में 64.04 प्रतिशत मतदान हुआ था. फतेहाबाद में तो 2017 में 70 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था. लेकिन इस बार 59.20 प्रतिशत ही मतदान हुआ है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें