11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जब Lata Mangeshkar को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था कि उनकी आवाज पतली है, जानें वो किस्सा

जब वह मुंबई गईं तो निर्माता एस मुखर्जी ने यह कहकर मंगेशकर को खारिज कर दिया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि यही आवाज कई भावी पीढ़ियों तक संगीत जगत पर राज करेगी.

Lata Mangeshkar: सुरों से दिलों पर राज करने वाली लता मंगेशकर नहीं रहीं. देश के संगीत जगत की सबसे बड़ी हस्तियों में शुमार रहीं और स्वर कोकिला के नाम से जानी जाने वाली तथा ‘भारत रत्न’ से सम्मानित लता मंगेशकर का रविवार को निधन हो गया. स्वर कोकिला के निधन की खबर सुनकर पूरा देश गम में डूब गया. मंगेशकर के जीवन से जुडी एक बार आज भी लोग याद करते हैं. दरअसल जब वह मुंबई गईं तो निर्माता एस मुखर्जी ने यह कहकर मंगेशकर को खारिज कर दिया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि यही आवाज कई भावी पीढ़ियों तक संगीत जगत पर राज करेगी.

1949 में फिल्म ‘महल’ के लिए गीत गाया

लता मंगेशकर ने जब 1949 में फिल्म ‘महल’ के लिए ‘आएगा आने वाला’ गीत गाया, तो उस समय पार्श्व गायकों को अधिक तवज्जो नहीं दी जाती थी और यह सार्वजनिक नहीं किया गया था कि यह गीत किसने गाया है, लेकिन यह गीत इतना हिट हुआ कि लोग इसकी गायिका के बारे में जानने को उत्सुक थे, जिसके कारण रेडियो स्टेशन को यह जानने के लिए एचएमवी से संपर्क करना पड़ा कि इस गीत को आवाज किसने दी है। मंगेशकर ने नसरीन मुन्नी कबीर के वृत्तचित्र ‘लता मंगेशकर: इन हर ओन वर्ड्स’ में इस बात का जिक्र किया था.

Also Read: क्या क्रिकेटर राज सिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर एक-दूसरे से करते थे प्रेम ?
इसी के साथ देश को एक सितारा मिल गया

रेडियो स्टेशन ने श्रोताओं को बताया कि यह गीत मंगेशकर ने गाया है और इसी के साथ देश को एक सितारा मिल गया. मंगेशकर ने 1950 के दशक में शंकर जयकिशन, नौशाद अली, एस डी बर्मन, हेमंत कुमार और मदन मोहन जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया. उस समय गायकों को अधिक धन नहीं मिलता था, इसलिए मंगेशकर एक दिन में छह से आठ गीत गाती थीं और फिर घर जाकर कुछ घंटे सोने के बाद अगले दिन फिर ट्रेन से रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंच जाया करती थीं. उनकी आवाज सफलता का पर्याय बन गई थी और इसीलिए मुख्य अभिनेता इस बात पर जोर देते थे कि उनकी फिल्मों के गीत लता मंगेशकर ही गाएं और अपने अनुबंधों में यह शर्त भी रखते थे. साठ के दशक में एक बार फिर मधुबाला मंगेशकर की आवाज का चेहरा बनीं.

Also Read: Lata Mangeshkar Death: सुरों से दिलों पर राज करने वाली लता दीदी नहीं रहीं, शोक में डूबा देश
35 साल में 700 से अधिक गीत

मंगेशकर ने ‘मुगल-ए-आजम’ के लिए ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ गीत गाकर संगीत जगत में तहलका मचा दिया. इसी दशक में उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के लिए 35 साल में 700 से अधिक गीत गाए, जिनमें से अधिकतर बहुत लोकप्रिय हुए. मंगेशकर ने मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायकों के साथ युगल गीत गाए. सत्तर के दशक में मंगेशकर ने अभिनेत्री मीना कुमारी की आखिरी फिल्म ‘पाकीजा’ और ‘अभिमान’ के लिए बेहतरीन गीत गाए. उन्होंने 80 के दशक में ‘‘सिलसिला”, ‘‘चांदनी”, ‘‘मैंने प्यार किया”, ‘‘एक दूजे के लिए”, ‘‘प्रेम रोग”, ‘‘राम तेरी गंगा मैली” और ‘‘मासूम” फिल्मों के लिए गीत गाए.

लता दी ने इन गीतों को अपनी सुरीली आवाज दी

वर्ष 1990 और 2000 के दशक में उन्होंने गुलजार निर्देशित फिल्म ‘लेकिन’ और यश चोपड़ा की फिल्मों ‘लम्हे’, ‘डर’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘दिल तो पागल’ के गीतों को अपनी सुरीली आवाज दी. उन्होंने आखिरी बार 2004 में ‘वीर-जारा’ फिल्म की पूरी अलबम के गीत गाए. लता मंगेशकर आज भले ही दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज के जरिए वह संगीत प्रेमियों के बीच सदा अमर रहेंगी. मंगेशकर ने 1977 में ‘किनारा’ फिल्म के लिए ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है’ गीत गाया था और वाकई आज उनकी आवाज किसी पहचान की मोहताज नहीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें