Jharkhand news: वसंत पंचमी के मौके पर बाबा बैद्यनाथ को पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ तिलक चढ़ाया गया. इसके 23 दिन बाद एक मार्च को महाशिवरात्रि के दिन गौरी संग बाबा का विवाह होगा. बाबा को तिलक चढ़ाने के लिए बाबा मंदिर में मिथिलांचल से आये तिलकहरुओं की भीड़ उमड़ी. बाबा को जलार्पण के बाद अबीर चढ़ाकर तिलकहरुओं ने मंदिर परिसर में एक-दूसरे को अबीर लगाकर होली की शुरुआत की. इसके बाद तिलकहरुए वापस अपने ठहराव स्थल पर पहुंचे और जमकर होली खेली.
इधर, वसंत पंचमी के मौके पर 94 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना किये. इसमें 1908 श्रद्धालुओं ने शीघ्रदर्शनम कूपन के माध्यम से जलार्पण किये. इस दौरान बाबा मंदिर परिसर मिथिलांचल के श्रद्धालुओं से पटा रहा. सुबह से ही बाबा का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की करीब 4 किलोमीटर लंबी कतार थी.
वसंत ऋतु का बाबा नगरी से खास महत्व है. विशेष रूप से मिथिलांचल के श्रद्धालुओं को माघ की ठंड में भी वसंत की सुखद अनुभूति होती है, क्योंकि वे भोलेनाथ को तिलक चढ़ाने आते हैं. तिलक के लिए सुल्तानगंज से गंगाजल और अपने खेतों की पहली उपज धान, चावल, अनाज, फल, दलहन, तेलहन और घी बाबा पर अर्पित करने की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं. यह आज भी जारी है. वे तिलकोत्सव धूमधाम से मनाते हैं. वहीं, वसंत पंचमी से ही बाबा बैद्यनाथ पर एक महीने तक प्रात:काल की पूजा और श्रृंगार पूजा में अबीर अर्पित की जाती है.
Also Read: देवघर और रांची में आज होगा बाबा का तिलकोत्सव, 80 हजार भक्त पहुंचे, फिर होगी मिथिलांचल होली की शुरुआतइस संबंध में मंदिर ईस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित बताते हैं कि वसंत पंचमी मेला से ही बाबा बैद्यनाथ का वैवाहिक कार्यक्रम शुरू होता है. सबसे पहले मिथिला में आज ही से होली का शुभारंभ होता है तथा महाशिवरात्रि के दिन बाबा का विवाहोत्सव एवं चार पहर की पूजा बाबा मंदिर में होगी.
सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा की देखरेख में मंदिर ईस्टेट की ओर से लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में आचार्य श्रीनाथ पंडित, पुजारी सुमित झा व मंदिर उपचारक भक्तिनाथ फलहारी की उपस्थिति में तिलकोत्सव को लेकर बाबा भोलेनाथ की विशेष पूजा की गयी. इस दौरान बाबा का पंचोपचार विधि से तिलक हुआ. इस विशेष पूजा में बाबा को आम का मंजर, अबीर, पंचमेवा, फल, वस्त्र, इत्र आदि चढ़ाये गये. उन्हें मालपुआ का विशेष भोग भी लगाया गया. इसके बाद पुजारी सुमित झा अबीर लेकर बाबा मंदिर के गर्भगृह में गये. वहां बाबा बैद्यनाथ को फुलेल चढ़ाने के बाद बाबा को तिलक के रूप में अबीर चढ़ाया गया.
इसके बाद बाबा की भव्य श्रृंगार पूजा की गयी. पुजारी के द्वारा बाबा मंदिर परिसर स्थित सभी 22 मंदिरों में भी धूप-दिखा कर मालपुआ का भोग लगाया गया. इसके साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा तक हर दिन बाबा की पूजा में अबीर और मालपुआ का भोग लगाने की परंपरा शुरू की गयी.
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