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इस मजबूरी की वजह से लता मंगेशकर को करनी पड़ी थी एक्टिंग, निर्देशक के कहने पर किया था ये काम

स्वर कोकिला लता मंगेशकर आज हमारे बीच नहीं रही. 92 वर्षीया दिग्गज गायिका ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. संगीत की मल्लिका कहलाने वाली लता मंगेशकर को कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है.

स्वर कोकिला लता मंगेशकर आज हमारे बीच नहीं रही. 92 वर्षीया दिग्गज गायिका ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. संगीत की मल्लिका कहलाने वाली लता मंगेशकर को कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है. मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को गायिकी अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर से विरासत में मिली थी. आठ दशक से भी अधिक समय से हिन्दुस्तान की आवाज बनीं लता ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीत गाए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं उन्होंने मजबूरी में एक्टिंग की थी.

मजबूरी में करनी पड़ी थी की एक्टिंग

लता मंगेशकर के छोटे भाई हृदयनाथ केवल चार साल के थे जब पिता की मौत हो गई थी. पिता की मौत के बाद लता ने ही परिवार की जिम्मेदारी संभाली और अपनी बहन मीना के साथ मुंबई आकर मास्टर विनायक के लिए काम करने लगीं. 13 साल की उम्र में उन्होंने 1942 में ‘पहिली मंगलागौर’ फिल्म में एक्टिंग की. कुछ फिल्मों में उन्होंने हीरो-हीरोइन की बहन के रोल किए हैं, लेकिन एक्टिंग में उन्हें कभी मजा नहीं आया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक लता मंगेशकर ने 8 मराठी और हिंदी फिल्मों में एक्टिंग की थी. निर्देशक ने उन्हें उनकी भौंहें भी ट्रिम करने को कहा था.

‘किती हसाल’ से मिला पहला मौका

लता मंगेशकर पहली बार पार्श्व गायन का अवसर मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए मिला, लेकिन दुर्भाग्यवश फिल्म के रिलीज होने से पहले इस गाने को हटा दिया गया. काफी दिनों तक संगीतकारों ने उनसे गाना नहीं गवाया, क्योंकि उन्हें लगता था कि लता की आवाज पतली है. उनका पहला हिंदी गाना 1943 में रिकॉर्ड हुआ. 1945 में लता मुंबई आ गयीं.

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‘महल’ के गाने से मिली ख्याति

लता मंगेशकर ने अपना पहला एकल गीत 1947 में फिल्म ‘आपकी सेवा’ के लिए गाया था. गीत के बोल थे ‘चलो हो गयी तैयार.’ वर्ष 1948 में ‘मजदूर’ फिल्म के लिए गाये गीत ‘दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा’ से उन्हें पहचान मिली. वर्ष 1949 लता के करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा. इस वर्ष आयी फिल्म ‘महल’ में उनके द्वारा गाया गीत ‘आयेगा आने वाला’ हिट रहा. इस गीत ने न सिर्फ उनकी प्रतिभा को स्थापित करने में मदद की, बल्कि फिल्म जगत के बड़े संगीतकारों के साथ गाने का मौका भी दिया. इसके बाद लता मंगेशकर ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

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