Bareilly News: प्रदेश के बरेली में सपा-भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने प्रत्यशियों को मैदान में उतार दिया है. प्रत्याशी नामांकन कराने के बाद सियासी रण में चुनाव जीतने की कोशिश में जुट गए हैं. मगर, बरेली की सभी नौ सीटों पर सपा और भाजपा में भीतरघात काफी है. जिसके चलते कई सीटों पर समीकरण बदलने लगे हैं.
आंवला विधानसभा में भीतरघात से सपा कमजोर होने लगी है, तो वहीं बिथरी चैनपुर और कैंट सीट पर भाजपा काफी कमजोर नजर आने लगी है. कांग्रेस में अंदरूनी और बाहरी प्रत्याशी को लेकर कोहराम मचा है. संगठन के साथ ही पुराने कांग्रेसी भी नामांकन से पहले अचानक पैराशूट से उतरे प्रत्याशियों को पचा नहीं पा रहे हैं.
बरेली की बिथरी चैनपुर और कैंट विधानसभा में भाजपा ने विधायकों के टिकट काटकर नए लोगों पर दांव लगाया है. बिथरी में डॉ. राघवेंद्र शर्मा है, तो कैंट में संजीव अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया गया है. जिसके चलते इन दोनों सीटों पर कुछ भाजपा नेता और समर्थक भीतरघात कर पार्टी प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसी जानकारी है कि सपा प्रत्यशियों को जीत दिलाने के लिए रणनीति बना रहे हैं. इससे बिथरी और कैंट में सपा काफी मजबूत नजर आने लगी है. मगर, आंवला विधानसभा में सपा से टिकट दावेदारों की लंबी लाइन थी.
सपा ने भाजपा के बिल्सी विधायक आरके शर्मा को टिकट दिया. जिसके चलते एक दावेदार जीराज सिंह यादव ने निर्दलीय ताल ठोक दी, तो बाकी भीतरघात कर प्रत्याशी को चुनाव हरवाने में लगे हैं. यही हाल फरीदपुर में भी है. सपा से टिकट मांगने वाले दावेदारों की लंबी लाइन थी. मगर, पार्टी ने यहां पूर्व विधायक विजयपाल सिंह को टिकट दिया. इससे खफा दो दावेदारों में से एक कांग्रेस और एक बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन बाकी 15 दावेदार प्रत्याशी को नुकसान पहुंचाने के लिए अंदर खाने भाजपा से हाथ मिलाए हुए हैं. बरेली के शहर सीट और भोजीपुरा में भी सपा को भीतरघात से नुकसान झेलना पड़ रहा है.
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कांग्रेस ने अचानक ही बिथरी चैनपुर, बरेली कैंट, नवाबगंज और भोजीपुरा में कुछ समय पहले ही पैराशूट से उतरे प्रत्याशियों को टिकट दिया है. जिन्हें जनता के साथ संगठन और पार्टी के पुराने लोग भी नहीं पचा पा रहे हैं. अंदरूनी और बाहरी लड़ाई में कांग्रेस प्रत्याशियों को बड़ा नुकसान होता नजर आने लगा है. बसपा ने भी अधिकांश बाहरियों को टिकट दिए हैं. मगर, यहां अंदरूनी और बाहरी को लेकर कोई लड़ाई नजर नहीं आ रही है. क्योंकि, बसपा हमेशा ही अधिकांश बाहरी प्रत्यशियों पर दांव लगाती है.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद