Neel Saraswati Puja 2022: आज बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के एक स्वरूप जिसे नील सरस्वती भी कहा जाता है, की पूजा भी की जाती है. इस दिन नील सरस्वती की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. हालांकि, यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इस दिन मां नील-सरस्वती की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है. पंचांगीय गणना काल के मुताबिक आज यानी 5 फरवरी को प्रात: 6 बजकर 42 मिनट से पंचमी शुरू हो गई है. यह तिथि अगले दिन 6 फरवरी, शनिवार की सुबह 6.44 बजे तक रहेगी.
बहुत कम लोग जानते हैं कि इस दिन मां नील-सरस्वती की पूजा करना काफी फलदायी है. मां सरस्वती का ही स्वरूप है नील सरस्वती. नील सरस्वती को धन, सुख, समृद्धि देने वाली देवी कहा गया है.
पुराणों में भी इस बात को कहा गया है कि सरस्वती मां के नील स्वरूप को पूजने से शत्रु पराजित होते हैं. इनके स्वरूप का वर्णन इस प्रकार है- नील वर्ण की हैं. चार भुजाएं हैं. दो हाथों में वीणा है.
नील सरस्वती देवी अपने भक्तों को धन, सुख, समृद्धि देती हैं. पुराणों के अनुसार, सरस्वती मां के नील स्वरूप को अगर सच्चे मन और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा जाए व्यक्ति शत्रुओं को पराजित कर सकता है. इनके स्वरूप का वर्णन किया जाए तो इनका वर्ण नील है. इनकी 4 भुजाएं हैं.
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।1।।
ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।
जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।2।।
जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।
द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।3।।
सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते।
सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।।4।।
जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला।
मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।5।।
वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नम:।
उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्।।6।।
बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे।
मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्।।7।।
इन्द्रादिविलसदद्वन्द्ववन्दिते करुणामयि।
तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम्।।8।।
अष्टभ्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां य: पठेन्नर:।
षण्मासै: सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।9।।
मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम्।
विद्यार्थी लभते विद्यां विद्यां तर्कव्याकरणादिकम।।10।।
इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाSन्वित:।
तस्य शत्रु: क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते।।11।।
पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये।
य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशय:।।12।।
इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत।।13।।
मां नील सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जप करें- ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नम:.